मंत्रिमंडल ने इस साल के बजट में की गई घोषणा के अनुरूप आईडीबीआई बैंक की हिस्सेदारी चुनिंदा निवेशक को बेचने और उसे बैंक का प्रबंध सौंपने के प्रस्ताव को सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान कर दी है। आईडीबीआई बैंक में केंद्र सरकार और एलआईसी की कुल हिस्सेदारी 94 फीसदी से ज्यादा है। इसके बाद आज आईडीबीआई बैंक के शेयर में जोरदार तेजी देखी जा रही है।
आईडीबीआई बैंक के शेयर में जोरदार उछाल
सुबह 11.47 बजे यह 2.60 अंक (6.85 फीसदी) ऊपर 40.55 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। जबकि पिछले कारोबारी दिन यह 37.99 के स्तर पर बंद हुआ था। कारोबार के दौरान इसमें 15 फीसदी तक का उछाल आया और यह 43.50 तक पहुंचा था। मौजूदा समय में बैंक का बाजार पूंजीकरण 435.69 अरब रुपये है।
पांच साल बाद मुनाफे में आया बैंक
मालूम हो कि आईडीबीआई बैंक पांच साल बाद मुनाफे में आया है। 31 मार्च 2021 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में बैंक ने 1,359 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया। जबकि इससे एक साल पहले वित्त वर्ष 2019-20 में बैंक को 12,887 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।
एलआईसी के पास 49.21 फीसदी शेयर
एलआईसी के पास बैंक के 49.21 फीसदी शेयर हैं और साथ ही वह उसकी प्रवर्तक है एवं उसके पास बैंक के प्रबंधन का नियंत्रण है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आईडीबीआई बैंक की रणनीतिक बिक्री को मंजूरी दे दी।
भारतीय रिजर्व बैंक के साथ होगा विचार-विमर्श
इसमें कहा गया कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के साथ विचार-विमर्श कर तय किया जाएगा कि इस बैंक में केंद्र सरकार और एलआईसी की कितनी हिस्सेदारी बेची जाए।
ये है सरकार का लक्ष्य
गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 का बजट पेश करते समय घोषणा की थी कि चालू वित्त वर्ष के विनिवेश कार्यक्रम में सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ बैंकों (पीएसबी) का निजीकरण भी किया जाएगा। बजट में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य है।
एआईबीईए ने सरकार के फैसले का किया विरोध
हालांकि अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) ने आईडीबीआई बैंक का निजीकरण करने से जुड़े सरकार के फैसले का विरोध करते हुए इसे एक ‘प्रतिगामी’ कदम बताया। संघ ने कहा कि सरकार को बैंक की पूंजी शेयर का 51 फीसदी हिस्सा अपने पास रखना चाहिए। बैंक संघ ने एक बयान में कहा कि बैंक इसलिए मुश्किलों में आया क्योंकि कुछ कॉरपोरेट घरानों ने उसके रिण वापस न कर उसके साथ धोखाधड़ी की। इसलिए वक्त की जरूरत है कि रिण वापस न करने वाले कर्जदारों के खिलाफ कार्रवाई कर पैसों की वसूली की जाए।