हाल के दिनों में एक तरफ रेमडिसिविर का कालाबाजारी बढ़ गई है, तो कई शहरों से नकली रेमडिसिविर मिलने की खबरें भी आने लगी हैं। जैसे-जैसे इसकी डिमांड बढ़ने लगी है, ठगों और जालसाजों ने इसे मुनाफा कमाने का जरिया बना लिया है। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में कुछ लोगों को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने के आरोप में गिरफ्तार भी किया गया है। ऐसे में एक मरीज के लिए असली और नकली रेमडिसिविर का अंतर जानलेवा साबित हो सकता है।
लोगों को सावधान करने के लिए दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की DCP और IAS ऑफिसर मोनिका भारद्वाज ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक पोस्ट किया है, जिसमें बताया गया है कि रेमडेसिविर की नकली और असली शीशी (Genuine and Fake Remedisvir) की पहचान कैसे की जाए। उन्होंने नकली पैकेट पर मौजूद कुछ गलतियों की तरफ इशारा किया है, जो इसे असली पैकेट से अलग करने में मदद कर सकते हैं –
असली पैकेट पर ‘100 mg/Vial’ लिखा हुआ है, जबकि नकली पैकेट पर ‘100 mg/vial’ लिखा हुआ है। यानी केवल Capital V का अंतर है।
नकली रेमडेसिविर के पैकेट पर इंजेक्शन के नाम से ठीक पहले ‘Rx‘ नहीं लिखा हुआ है.
Attention!!
Lookout for these details before buying Remdesivir from the market. pic.twitter.com/A2a3qx5GcA— Monika Bhardwaj (@manabhardwaj) April 26, 2021
असली पैकेट पर ‘For use in’ लिखा हुआ है और नकली पैकेट पर ‘for use in’ लिखा हुआ है। यानी Capital F का अंतर है।
असली पैकेट के पीछे चेतावनी लेबल (‘Warning’ Label) लाल रंग में है, जबकि नकली पैकेट पर ‘Warning’ लेबल काले रंग में है।
नकली रेमडेसिविर के पैकेट पर ‘Warning’ लेबल के ठीक नीचे मुख्य सूचना ‘Covifir’ (ब्रांड नाम) is manufactured under the licence from Gilead Sciences, Inc’ नहीं लिखी हुई है।
नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन वाले पैकेट पर पूरे पते (Address) में स्पेलिंग की गलतियां हैं। जैसे नकली पैकेट पर ‘Telangana‘ की जगह ‘Telagana‘ लिखा हुआ है।
इस तरह, आप देख सकते हैं कि असली और नकली पैक्ट्स में किस तरह के बारीक अंतर छिपे हुए होते हैं। लेकिन अगर बारीकी से देखें तो आप असली और नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की पहचान कर सकते हैं।