रायपुर। स्वास्थ्य विभाग ने स्मार्ट कार्ड योजना से सरकारी कर्मचारी, ईएसआईसी (राज्य कर्मचारी बीमा निगम) में पंजीकृत कर्मी समेत आयकर के दायरे में आने वाले कार्ड होल्डर को बाहर करने का प्रस्ताव शासन को भेजा है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की राज्य इकाई ने भी इसकी वकालत की है। इससे सरकार पर पड़ने वाला आर्थिक बोझ कम होगा।
बीपीएल परिवारों के लिए केंद्र सरकार की राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई) जब लॉन्च हुई तो प्रदेश के एपीएल परिवार इससे छूट गए थे। उन तक पहुंचने राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना (एमएसबीवाई) शुरू की। 11.39 लाख परिवार इसका लाभ ले रहे हैं।
राज्य सरकार ने दोनों ही कार्ड की राशि बढ़ाकर 50 हजार करने की घोषणा की थी। टेंडर प्रक्रिया में बजाज अलाइंस लिमिटेड एल-1 पर थी, लेकिन प्रति परिवार प्रीमियम 882 रुपए होने पर वित्त विभाग ने आपत्ति की। इसके बाद टेंडर रद्द कर दिया गया, क्योंकि सरकार पर 250 करोड़ से अधिक का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा था।
दिसंबर 2016 के प्रस्ताव के मुताबिक राज्य के 3 लाख सरकारी अफसर- कर्मचारियों को शासन ने कैशलेस इलाज की सुविधा देने का प्रस्ताव भेजा था। इसमें 2 लाख रुपए के कार्ड में स्मार्ट कार्ड योजना में अनुबंधित अस्पतालों में इलाज की सुविधा थी।
इलाज का खर्च 20 लाख रुपए तक होने पर रिएंबर्स की बात कही गई थी। नागरिक आपूर्ति निगम, को-ऑपरेटिव सोसाइटी जैसी एजेंसियां को भी इसका लाभ मिलना था। इससे इलाज में फर्जीवाड़ा रोकने का दावा किया गया था। हालांकि इसे मंजूरी नहीं मिली थी।
सरकार पर बोझ कम होगा
एमएसबीवाई के लाभार्थी यदि कम होते हैं तो उसकी बची राशि आरएसबीवाई में इस्तेमाल की जा सकती है। इससे सरकार पर पड़ने वाला बोझ कम होगा। आईएमए ने यह सुझाव दिया था। – डॉ. महेश सिन्हा, अध्यक्ष, रायपुर आईएमए
प्रस्ताव भेजा है
शासकीय सेवकों के लिए अलग से कैशलेस कार्ड का प्रस्ताव शासन को भेजा है, उसके स्वीकृत होने पर एमएसबीवाई कार्ड की संख्या कम हो जाएगी। – आर. प्रसन्ना, आयुक्त, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग