Rani Kamlapati Station हबीबगंज रेल स्टेशन का होगा नाम रानी कमलापति रेलवे स्टेशन, जानिए कौन थीं रानी कमलापति

हबीबगंज रेल स्टेशन का होगा नाम रानी कमलापति जंक्शन

भोपाल। मध्यप्रदेश MP के प्रमुख रेल स्टेशन हबीबगंज (Habibganj) का नाम गोंड़ शासक निजामशाह (Nizamashah) की पत्नी रानी कमलापति (Rani Kamlapati) के नाम से होगा। इस आशय की अधिसूचना आज परिवहन विभाग से जारी की गई है। इस सूचना में कहा गया है कि 15 नवम्बर को जन जातीय गौरव दिवस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी Narendra Modi शामिल होंगे। हबीबगंज Habibganj Railway Station स्टेशन को 100 करोड़ रुपये की लागत से भव्य स्वरूप दिया गया है जिसका लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इसी दौरान हबीबगंज रेलवे स्टेशन Habibganj Railway Station का नया नामकरण होगा।

16 वीं शताब्दी में गौंड शासक राजा सूरज सिंह शाह Suraj singh shaah के पुत्र निजामशाह Nizamashah की पत्नी कमलापति Kamlapati अपने पूरे जीवन मे बहादुरी से अतिक्रमण कारियों से सामना किया। उनके जीवन की इसी वीरता से रानी कमलापति का नाम अमर है। इसी सम्मान के चलते हबीबगंज रेल स्टेशन का नाम परिवर्तन कर रानी कमलापति स्टेशन के नाम से करने का निर्णय हुआ है।

आपको बता दें कि कल तक हबीबगंज का नाम अटलबिहारी वाजपेयी के नाम पर होने के कयास लग रहे थे।

देखें आदेश

100 करोड़ की लागत से हबीबगंज स्टेशन को विश्वस्तरीय बना दिया गया लेकिन दशकों बाद आज भी स्टेशन के नाम को लेकर इतिहास से जुड़ा कुछ भी नहीं था। यहां तक कि स्टेशन का नाम हबीबगंज क्यों रखा गया, इस पर कोई स्पष्ट राय नहीं है। लिहाजा लंबे समय से स्टेशन का नाम बदलने की मांग की जाती रही है। अब 15 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस स्‍टेशन के लोकार्पण के साथ इसेे नया नाम भी मिलेगा। अब इस स्‍टेशन को रानी कमलापति के नाम से जाना जाएगा।

कमलापति के नाम पर किए जाने को लेकर कोई आपत्‍ति नहीं

परिवहन विभाग की ओर से शुक्रवार को इस आशय का प्रस्‍ताव केंद्रीय मंत्रालय को भेजा गया था। इस पर अब केंद्र की मंजूरी मिल गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा भेजे गए जवाब में कहा गया है कि इस स्‍टेशन का नामकरण रानी कमलापति के नाम पर किए जाने को लेकर कोई आपत्‍ति नहीं है। सूत्रों के मुताबिक लोकार्पण के साथ ही स्टेशन को नया नाम देने की कवायद लंबे समय से चल रही है। सबसे पहले भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के नाम पर स्टेशन का नाम रखने का प्रस्ताव आया था। जिस पर सभी की सहमति थी।

कौन थीं रानी कमलापति

रानी कमलापति गिन्नौरगढ़ के मुखिया निजाम शाह की विधवा गोंड शासक थीं। निजाम शाह गोंड राजा थे और उनकी सात पत्नियां थी। इनमें से एक रानी कमलापति थीं। परियों की तरह खूबसूरत रानी कमलापति राजा की सबसे प्रिय पत्नी थीं। उस समय निजाम शाह के भतीजे आलम शाह का बाड़ी पर शासन था। उसे अपने चाचा निजाम शाह से काफी ईर्ष्या थी। कहा जाता है कि आलम शाह को निजाम शाह की दौलत और संपत्ति के साथ कमलापति की खूबसूरती से भी ईर्ष्या थी। आलम शाह रानी कमलापति की खूबसूरती पर मोहित था। उसने रानी से अपने प्यार का इजहार भी किया था, लेकिन रानी ने उसे ठुकरा दिया था।

आलम शाह अपने चाचा निजाम शाह के खिलाफ लगातार षडयंत्र करता था। एक बार उसने खाने में जहर मिलाकर उनकी हत्या कर दी। खुद को इन षडयंत्रों से बचाने के लिए रानी कमलापति अपने बेये नवल शाह को गिन्नौरगढ़ से भोपाल के रानी कमलापति महल लेकर आ गईं। परेशान रानी कमलापति अपने शौहर की मौत का बदला लेना चाहती थीं, लेकिन इसके लिए उनके पास न तो फौज थी और न ही पैसे।

दोस्त मोहम्मद खान ने की रानी कमलापति की मदद
इसी दौरान उनकी मुलाकात दोस्त मोहम्मद खान से हुई। इतिहासकारों के मुताबिक दोस्त मोहम्मद खान पहले मुगल सेना का हिस्सा था, लेकिन लूटी हुई संपत्तियों के हिसाब में गड़बड़ी के बाद उसे निकाल दिया गया था। इसके बाद उसने भोपाल के नजदीक जगदीशपुर पर अपना शासन स्थापित कर लिया था। रानी ने अपने पति की मौत का बदला लेने के लिए दोस्त मोहम्मद से मदद मांगी। दोस्त मोहम्मद ने इसके बदले रानी से एक लाख रुपये मांगे जिसे देने के लिए वह तैयार हो गईं।

रानी के बेटे को मारकर दोस्त मोहम्मद ने किया था भोपाल पर कब्जा

दोस्त मोहम्मद ने बाड़ी के राजा पर हमला कर उसकी हत्या कर दी। इस काम से रानी खुश हो गईं, लेकिन करार के मुताबिक वह दोस्त मोहम्मद को एक लाख रुपये नहीं दे पाईं। इसके बदले में उन्होंने भोपाल का एक हिस्सा उसे दे दिया। इस समय तक रानूृी कमलापति का बेटा नवल शाह बड़ा हो चुका था। नवल शाह को दोस्त मोहम्मद का भोपाल के एक हिस्से पर कब्जा मंजूर नहीं था। इसको लेकर दोनों के बीच लड़ाई हुई। जानकारी के मुताबिक दोस्त मोहम्मद ने नवल शाह को धोखे से जहर देकर मार दिया और पूरे भोपाल रियासत पर कब्जा कर लिया।

 

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