जबलपुर । मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में मेडिकल एडमिशन रूल को चुनौती संबंधी याचिका में राहत से इन्कार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने साफ किया कि कोर्ट राज्य सरकार को निर्देश नहीं दे सकती।
राज्य सरकार मेडिकल पीजी सीट पर मूलनिवासी अर्थात राज्य के किसी भी जिले की मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस करने वाले छात्रों को पीजी सीट पर वरीयता देने स्वतंत्रत है। याचिका कर्ता प्रायवेट मेडिकल कॉलेजेस की एसोसिएशन ने उस रूल की संवैधानिक वैधता को कठघरे में रखा था, जिसके तहत सिर्फ मूलनिवासी को वरीयता दी जानी है।
इससे बाहर के राज्यों से एमबीबीएस करने वाले नीट उत्तीर्ण छात्र मध्य प्रदेश में पीजी सीट पर दाखिले से वंचित हो रहे हैं। रूल का नियम 2 उपनियम 13 कठघरे में रखा गया था। कोर्ट ने राज्य शासन अधिकृत नहीं है, इस मांग को पूरा करने से मना कर दिया। इसी के साथ एसोसिएशन आफ प्रायवेट मेडिकल यूनिवर्सिटी को झटका लगा जबकि राज्य को राहत मिली। कोर्ट ने एसोसिएशन की वह मांग दरकिनार कर दी, जिसके तहत राज्य को अधिकृत न होने की दलील दी गई थी। एसोसिएशन की ओर अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता खड़े हुए। राज्य की ओर से शासकीय अधिवक्ता ब्रह्मदत्त सिंह ने व मेडिकल काउंसिल की ओर से अनूप नायर ने पक्ष रखा।