नई दिल्ली. नी रिप्लेसमेंट सर्जरी (knee replacement surgery) यानी घुटना प्रत्यारोपण कराने जा रहे मरीजों के लिए अच्छी खबर है। केंद्र सरकार ने नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के लिए इस्तेमाल होने वाले डिवाइस (knee Implant) का मैक्सिमम रेट तय कर दिया है। सर्जरी में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले क्रोमियम कोबाल्ट नी इम्प्लांट की कीमत 54720 रुपए तय की गई है, जिसके लिए पहले 1.5 लाख रुपए तक चार्ज देना होता था। 15 तरीके के नी इम्प्लांट की कीमतों को भी इसी रेश्यो में रिवाइज किया गया है। नई कीमतें फौरन लागू करने का आदेश दिया गया है। फार्मा रेग्युलेटर एनपीपीए ने अपनी वेबसाइट पर यह जानकारी दी है। बता दें कि इससे पहले केंद्र सरकार ने हार्ट पेशेंट्स के लिए इस्तेमाल होने वाले स्टेंट्स की कीमत 85% तक घटा दीथी।
क्या कहा सरकार ने
– सरकार के मुताबिक, हर साल करीब डेढ़ लाख मरीज नी इम्प्लांट कराते हैं। इस लिहाज से देखें तो कम कीमतों की वजह से हर साल करीब 1500 करोड़ रुपए बचाए जा सकेंगे। यानी सीधे तौर पर इसका फायदा मरीज को होगा।
– केमिकल एंड फर्टिलाइजर मिनिस्टर अनंत कुमार ने कहा- नी इम्प्लांट पर की गई कैपिंग का फैसला फौरन लागू किया जाएगा।
– इसके पहले एनपीपीए द्वारा हार्ट सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले स्टेंट की कीमतों को भी प्राइस कंट्रोल के दायरे में लाया गया था।
– इसके पहले एनपीपीए द्वारा हार्ट सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले स्टेंट की कीमतों को भी प्राइस कंट्रोल के दायरे में लाया गया था।
– एनपीपीए ने स्टेंट की कीमतें 85 फीसदी तक कम कर दी थीं। बेयर मेटल स्टेंट की कीमत 7260 रुपए और ड्रग इल्यूटिंग स्टेंट की कीमत 29,600 रुपए तय की गई हैं। पहले इनकी कीमतें 40 हजार और 1.98 लाख रुपए तक थीं।
अभी तक क्यों थे इतने ज्यादा चार्ज?
– सरकार को ऐसी शिकायतें मिली थीं कि नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के लिए हॉस्पिटल, इंपोर्टर्स और डिस्ट्रीब्यूटर मिलकर 449% तक मुनाफा कमा रहे हैं।
– सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले इम्प्लांट के इंपोर्टर्स को करीब 76% फायदा होता है। इसके अलावा डिस्ट्रीब्यूटर को 100% से ज्यादा और दूसरे मार्जिन के तौर पर करीब 102% तक फायदा होता है। हैरानी की बात ये है कि इन सभी का चार्जेस का बोझ सीधे मरीजों पर डाल दिया जाता है।
15 तरह के इम्प्लांट की कीमतें तय
– एनपीपीए के मुताबिक- 15 तरह के नी इम्प्लांट की कीमतें तय कर दी गई हैं। इनमें 12 प्राइमरी नी रिप्लेसमेंट सिस्टम जबकि 3 रि-विजन नी रिप्लेसमेंट सिस्टम शामिल हैं।
ज्यादा कीमत नहीं ले सकते हैं मैन्युफैक्चरर्स
– एनपीपीए का कहना है कि कोई भी मैन्युफैक्चरर सीलिंग प्राइस से ज्यादा कीमत पर नी इम्प्लांट नहीं बेच सकता। अगर उसे ऐसा करते हुए पाया गया तो ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्उर 2013 के तहत उसे ओवरचार्ज किया गया अमाउंट ब्याज के साथ सरकार के पास जमा कराना होगा।
डिस्ट्रीब्यूटर्स और हॉस्पिटल्स का ट्रेड मार्जिन भी तय
– एनपीपीए के मुताबिक- नी इम्प्लांट के लिए जो कीमतें तय हुई हैं, उनमें डिस्ट्रीब्यूटर्स /स्टॉकिस्ट और हॉस्पिटल्स /नर्सिंग होम्स /क्लीनिक्स का ट्रेड मार्जिन भी जुड़ा हुआ है। अलल-अलग तरह के इम्प्लांट के लिए इनके मैक्सिमम ट्रेड मार्जिन 4 से 16% के बीच रखे गए हैं। वहीं, जहां पर मैन्युफैक्चरर्स के जरिए बिना किसी डिस्ट्रीब्यूटर से होते हुए सीधे हॉस्पिटल्स तक इम्प्लांट पहुंचाए जाते हैं, वहां हॉस्पिटल्स के लिए 16% ट्रेड मार्जिन होगा।
डोमेस्टिक इंडस्ट्री ने किया वेलकम
– एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के फोरम को-ऑर्डिनेटर राजीव नाथ का कहना है- इससे आम आदमी को फायदा होगा और उन्हें घुटने की सर्जरी के लिए पहले से काफी कम कीमत चुकानी होगी। डोमेस्टिक इंडस्ट्री को भी इससे फायदा है जो पहले से ही अच्छी क्वालिटी के इम्प्लांट वाजिब कीमतों पर उपलबध कराती आ रही है। उनका कहना है कि पहले सरकार ने स्टेंट की कीमतें 85% तक घटाई थीं, जिसका फायदा मरीजों के साथ डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरर्स को हुआ है।
– एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के फोरम को-ऑर्डिनेटर राजीव नाथ का कहना है- इससे आम आदमी को फायदा होगा और उन्हें घुटने की सर्जरी के लिए पहले से काफी कम कीमत चुकानी होगी। डोमेस्टिक इंडस्ट्री को भी इससे फायदा है जो पहले से ही अच्छी क्वालिटी के इम्प्लांट वाजिब कीमतों पर उपलबध कराती आ रही है। उनका कहना है कि पहले सरकार ने स्टेंट की कीमतें 85% तक घटाई थीं, जिसका फायदा मरीजों के साथ डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरर्स को हुआ है।