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अतिथि शिक्षक भर्ती में डबल स्टैंडर्ड, हाईकोर्ट ने कहा निराकरण करो
अतिथि शिक्षक भर्ती में डबल स्टैंडर्ड, हाईकोर्ट ने कहा निराकरण करो
जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग द्वारा संचालित विद्यालयों में अतिथि शिक्षक की भर्ती में डबल स्टैंडर्ड के खिलाफ दाखिल हुई है कि याचिका का निराकरण करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी जबलपुर को आदेश दिया एक 1 महीने के भीतर याचिकाकर्ता की समस्या का निराकरण किया जाए।
अनुभव को अमान्य कर दिया
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता हाई स्कूल ककरहटा पाटन में अतिथि शिक्षक स्वप्निल रजक की ओर से अधिवक्ता परितोष त्रिवेदी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता तीन साल से अतिथि शिक्षक बतौर ईमानदारी से सेवा देता चला आ रहा था। उसके स्थान पर किसी अन्य को अतिथि शिक्षक नियुक्त कर दिया गया है।
मेरिट के बावजूद नियुक्ति नहीं दी
यह रवैया सर्वथा अनुचित है। साथ ही अनुभव की उपेक्षा भी। राज्य शासन के नए दिशा-निर्देशों के तहत पूर्व से कार्यरत अतिथि शिक्षकों को वरीयता देने का प्रावधान है। इसके बावजूद इस नियम की अवहेलना की गई। आश्चर्यजनक तथ्य तो यह है कि मैरिट के बावजूद याचिकाकर्ता को दरकिनार किया गया।
अनुभव नहीं होने के कारण नियुक्ति नहीं दी
उसने मौजूदा स्कूल के साथ-साथ हाई स्कूल रमखिरया में भी नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। वहां भी प्रणीण्य सूची में प्रथम आने के बावजूद नियुक्ति से वंचित किया गया। वहां पहले से पदस्थ अतिथि शिक्षक को वरीयता देते हुए नए आवेदक के रूप में याचिकाकर्ता को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
अतिथि शिक्षकों की भर्ती में डबल स्टैंडर्ड क्यों
इस तरह प्रश्न उठता है कि एक ही व्यक्ति के सिलसिले में दो प्राचार्य अलग-अलग निर्णय क्यों ले रहे हैं? हाई कोर्ट ने पूरा मामला समझने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी, जबलपुर को एक माह के भीतर शिकायत दूर करने के निर्देश दे दिए