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आदेश की फिक्र नहीं, 25 हजार में से सिर्फ डेढ़ सौ कर्मचारी वापस लौटे
भोपाल। स्कूल शिक्षा विभाग के आदेशों की उनके कर्मचारियों को फिक्र ही नहीं है। बात भले ही उनके वेतन न मिलने से जुड़ी क्यों न हो। दरअसल, शासन ने ऐसे कर्मचारियों को मूल संस्था में लौटने के लिए एक दिन का समय दिया था, लेकिन 26 दिन में 25 हजार में से महज डेढ़ सौ कर्मचारी अपनी मूल संस्थाओं में वापस लौटे हैं। शेष में से कुछ कर्मचारियों को विभाग के ही दूसरे दफ्तरों में काम करने का लाभ दे दिया गया। जबकि कुछ कर्मचारियों तक आदेश की आंच ही नहीं पहुंची।
हाईस्कूल और हायर सेकंडरी का रिजल्ट बिगड़ने के बाद शासन ने 30 मई को विभाग के सभी शैक्षिक और गैर शैक्षिक कर्मचारियों के अटैचमेंट खत्म कर दिए थे। वहीं दूसरे विभागों में प्रतिनियुक्ति अवधि पूरी कर चुके कर्मचारियों को भी 31 मई तक हर हाल में मूल संस्था में ज्वॉइन करने को कहा था, लेकिन तय समयसीमा में महज 18 कर्मचारी विभाग में वापस लौटे। विभाग ने मैदानी अफसरों को रिमाइंडर जारी कर शेष कर्मचारियों को वापस बुलाने को कहा था। फिर भी बड़ी संख्या में कर्मचारी नहीं लौटे हैं।
कलेक्टोरेट में काम कर रहे शिक्षक
इतनी सख्ती के बाद भी कलेक्टर उन शिक्षकों को छोड़ने को तैयार नहीं हैं, जो ब्लॉक लेवल ऑफिसर (बीएलओ) की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इन शिक्षकों का काम आवंटित क्षेत्र के लोगों के मतदाता परिचय पत्र बनवाना और मतदाता सूची को अपडेट करना है। ऐसे ही एसडीएम, तहसील कार्यालय में भी शिक्षक अटैच हैं। जबकि आरटीई कानून कहता है कि चुनाव के अलावा शिक्षकों को किसी और काम में नहीं लगाया जा सकता।
डीपीआई में अटैच शिक्षकों पर जोर नहीं
शासन ने दूसरे विभागों में काम कर रहे कर्मचारियों के अटैचमेंट तो खत्म कर दिए हैं, लेकिन विभाग में ही अटैच कर्मचारियों को बचाया जा रहा है। पांच दर्जन से ज्यादा हायर सेकंडरी शिक्षक, प्राचार्य, सहायक संचालक, उप संचालक, संयुक्त संचालक और अपर संचालक लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई), मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल, स्टेट काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीईआरटी) और राज्य शिक्षा केंद्र में अटैच हैं, लेकिन शासन इन्हें अटैचमेंट नहीं मान रहा है। जबकि इनमें से उप संचालक स्तर तक के अफसरों की जगह फील्ड में है। स्कूलों में शिक्षक और प्राचार्य न होने से पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
जल्द समीक्षा करेंगे
ज्यादातर अटैच कर्मचारी विभाग में लौट आए हैं, जो नहीं लौटे हैं, उनका वेतन रोका जा रहा है। यदि मूल संस्था में लौटे बगैर उनका वेतन जारी होता है तो डीडीओ पर कार्रवाई की जाएगी। हम जल्द ही इसकी समीक्षा करेंगे।
– दीप्ति गौड़ मुकर्जी, सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग