राजस्थान के सीमावर्ती बाड़मेर जिले में एक नर्स की समझदारी और सूझबूझ ने एक नवजात की जान बचा ली। दरअसल, नवजात के जन्म के समय उसकी धड़कनें नहीं चल रही थीं। डिलीवरी करवाने वाली नर्स ने तुरंत ही बच्चे को ऑक्सीजन कांस्ट्रेटर पर लिया। लेकिन इस बीच लाइट चली गयी और कांस्ट्रेटर ने काम करना बंद कर दिया। ऐसे में मासूम की जान पर बन आयी। लेकिन नर्स ने सूझबूझ दिखाते हुए तुरंत बच्चे को मुंह से सांस देना शुरू कर दिया। करीब 10 मिनट के बाद बच्चे के दिल की धड़कन वापस लौटी और वह सामान्य रूप से सांस लेने लगा। लोग नर्स के इस जज्बे की खूब तारीफ कर रहे हैं।
प्री-मैच्यौर डिलीवरी का मामला
जानकारी के मुताबिक 8 माह की गर्भवती गुड्डी कंवर पत्नी जगमालसिंह को बाड़मेर जिले के मंडली आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर लाया गया था। प्रसूता की स्थिति गंभीर थी और उसे रेफर भी नहीं किया जा सकता था। ऐसे में मंडली पीएचसी पर ही उसकी प्रीमैच्योर डिलीवरी करवाई गयी। डिलीवरी के बाद महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया। लेकिन जन्म के बाद बच्चा नहीं रोचा। जांच में पता चला कि उसका दिल नहीं धड़क रहा है।
अचानक चली गई बिजली
बच्चे की जान बचाने के लिए अस्पताल में कार्यरत नर्स निर्मला विश्नोई ने बिना समय गंवाए बच्चे को ऑक्सीजन कांस्ट्रेटर पर लिया। लेकिन इसी बीच अचानक बिजली चली गई। अस्पताल का इन्वर्टर भी काम नहीं कर रहा था। हालात को देखते हुए नर्स निर्मला विश्नोई ने बच्चे को अपने मुंह से सांस देना शुरू किया। करीब 10 मिनट बाद बच्चे के दिल की धड़कन वापिस लौटी और नवजात सामान्य रूप से सांस लेने लगा। तब जाकर बच्चे की मां व परिवार के सदस्यों ने राहत की सांस ली।