गृहमंत्रालय की साइबर सेफ्टी विंग ‘FCORD’ ने मोबाइल फोन से फ्रॉड करने वालों पर बड़ी कार्रवाई की है। पुलिस के साथ संयुक्त रूप से छापेमारी कर 870 से ज्यादा नये मोबाइल फोन जब्त किया है। बरामद किये गए मोबाइल फोन की कीमत 86 लाख रुपए बताई जा रही है। टीम ने इसके साथ ही तीन लोगों को भी गिरप्तार किया है। यह गैंग फ्रॉड-टू-फोन (F2P)में संलिप्त था।
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक ‘FCORD’ के एक अधिकारी ने बताया है कि एफ2पी नेटवर्क को ध्वस्त करने की दिशा में की जा रही कार्रवाई का हिस्सा है। साइबर टीम से मिली इनपुट के आधार पर ‘FCORD’ ने फोन से फ्रॉड करने वालों पर शिकंजा कसने के लिए ऐप बनाया था।
इसके बाद मध्य प्रदेश, झारखंड और उत्तर प्रदेश तथा झारखंड पुलिस के साथ मिलकर ‘FCORD’ की टीम ने धंधेबाजों को पकड़ने की योजना तैयार की। जिसके बाद चार राज्यों की पुलिस और गृहमंत्रालय की टीम ने 872 नए मोबाइल फोन बरामद किये। यह सभी मोबाइल फोन अलग-अलग कंपनियों के हैं। जिनकी कीमत करीब 86 लाख रुपए हैं। जिन 3 लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है उनके पास से 15.15 लाख रुपए कैश भी बरामद किये गये हैं।
आपको बता दें कि पिछले कुछ दिनों से मोबाइल के जरिए फ्रॉड करने वालों पर पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है। अब तक 1,100 सेल फोन बरामद किये गये हैं। जिनकी कीमत डेढ़ करोड़ रुपए के आसपास है। इसके अलावा इस धंधे से जुड़े 25 लोगों को अब तक पुलिस ने पकड़ा है। जिनके पास से 25 लाख रुपए कैश बरामद किये गए हैं।
बताया जा रहा है कि इस गैंग के हरियाणा नेटवर्क को हुकूम सिंह बिसेन चला रहा था। उसने बालाघाट व्हाट्सऐप ग्रुप बना रखा था। चार राज्यों की पुलिस की कार्रवाई में पगड़े गए दो अन्य आरोपियों का नाम रजत मदान और सुधीर नारंग बताया जा रहा है। रजत मदान कैथल का रहने वाला है। उसके पास से पुलिस ने 872 मोबाइल फोन बरामद किये हैं।
पुलिस के मुताबिक गिरोह के सदस्य अमेजन, फ्लिपकार्ट सहित कई अन्य ऑनलाइन प्लेटफार्म की ऐप को थर्ड पार्टी क्लोनिंग ऐप से क्लोनिंग करते हैं। उसके बाद एक मोबाइल फोन में सैकड़ों ऐप बनाकर फर्जी नाम-पतों पर अलग से एक कोड डालकर बार-बार आर्डर लगाकर सैकड़ों की संख्या मे फर्जी आइडी पर विभिन्न ऑनलाइन कंपनियों से स्मार्ट फोन मंगवाते हैं।
जीएसटी पोर्टल से जीएसटी नंबर चुराकर फर्जी अमेजन बिजनेस आइडी बना कर फर्जी नाम-पतों पर एक कोड के साथ डिलीवरी करवाई जाती है। इसके बाद इन अज्ञात व्यक्तियों से रजत कुमार और सुधीर नारंग जैसे कई लोगों द्वारा सभी मोबाइल फोन अवैध तरीके से खरीद लिए जाते हैं। इन मोबाइलों को अलग-अलग राज्यों में बिना बिल बेच दिया जाता है।