चंद्रयान 3 पहुंच गया। पृथ्वी से चंद्रमा तक 3.84 लाख किलोमीटर का सफर तय करने के बाद चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चंद्रमा की धरती पर कामयाबी के साथ उतर गया। इसी के साथ भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला रूस, अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का चौथा देश बन गया है। वहीं, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।
चंद्रयान-3 ने कैसे रच दिया इतिहास?
इसरो के अधिकारियों के मुताबिक, चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का ही अगला चरण है, जो चंद्रमा की सतह पर उतरा है । यह चंद्रयान-2 की तरह ही दिखता है, जिसमें एक लैंडर और एक रोवर शामिल हैं। चंद्रयान-3 का फोकस चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंड करने पर रहा। मिशन की सफलता के लिए नए उपकरण बनाए गए हैं। एल्गोरिदम को बेहतर किया गया है। जिन वजहों से चंद्रयान-2 मिशन चंद्रमा की सतह नहीं उतर पाया था, उन पर फोकस किया गया।
इसरो के अधिकारियों के मुताबिक, चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का ही अगला चरण है, जो चंद्रमा की सतह पर उतरा है । यह चंद्रयान-2 की तरह ही दिखता है, जिसमें एक लैंडर और एक रोवर शामिल हैं। चंद्रयान-3 का फोकस चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंड करने पर रहा। मिशन की सफलता के लिए नए उपकरण बनाए गए हैं। एल्गोरिदम को बेहतर किया गया है। जिन वजहों से चंद्रयान-2 मिशन चंद्रमा की सतह नहीं उतर पाया था, उन पर फोकस किया गया।
1. रोवर बाहर आएगा
अब नजरें प्रज्ञान रोवर पर है, जो स्थितियां सामान्य होने के बाद चांद की सतह पर चलेगा। चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल लैंडर के कम्प्लीट कॉन्फिगरेशन को बताता है। इसमें रोवर का वजन 26 किलोग्राम है। रोवर चंद्रयान-2 के विक्रम रोवर के जैसे ही है। प्रज्ञान रोवर को बाहर आने में एक दिन का समय भी लग सकता है। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संजीव सहजपाल कहते हैं कि योजना के मुताबिक, सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही लैंडर और रोवर चांद की सतह पर अपना काम करना शुरू कर देंगे।
2. 14 दिन चांद की सतह से जानकारी इकट्ठा करेगा
वैज्ञानिकों के मुताबिक, सॉफ्ट लैंडिंग के बाद रोवर और लैंडर से जो जानकारी इसरो को मिलेगी, वह 14 दिनों तक ही होगी, क्योंकि चांद को पूरी रोशनी सिर्फ इसी दौर में मिलेगी। उनका कहना है कि रोवर से मिलने वाली जानकारी बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण इसलिए मानी जाती है, क्योंकि वह चांद की सतह पर जाकर आगे बढ़ता रहता है।
3. इसरो को चांद से अहम जानकारी भेजेगा
वैज्ञानिकों का कहना है कि 14 दिनों के भीतर रोवर चांद पर अपने तय रास्ते को न सिर्फ पूरा करेगा, बल्कि उसकी पूरी सूचनाएं भी इसरो के डाटा सेंटर को भेजता रहेगा। संजीव सहजपाल का कहना है कि सिर्फ रोवर ही नहीं बल्कि लैंडर के माध्यम से भी सूचनाएं और पूरी तकनीकी जानकारियां मिलती रहेंगी। वह बताते हैं कि लैंडर और रोवर 14 दिनों तक पूरी सक्रियता के साथ हमें सूचनाएं भेजेगा। उनका कहना है कि तमाम विपरीत परिस्थितियों के लिए तैयार किए जाने वाले लैंडर और रोवर के पावर बैकअप की क्षमता 14 दिनों तक सबसे ज्यादा होती है। उसके बाद की सूचनाएं या तो मिलनी बंद हो जाएंगी या उनकी स्पीड न के बराबर हो जाएगी। हालांकि अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का मानना है कि 14 दिनों के भीतर मिलने वाली सूचनाएं अंतरिक्ष में चांद पर की जाने वाली तमाम संभावनाओं की सबसे महत्वपूर्ण जानकारियां होंगी।
लैंडर के साथ ही चांद की सतह पर उतरने वाले रोवर अपने पहियों वाले उपकरण के साथ वहां की सतह की पूरी जानकारी इसरो के वैज्ञानिकों को देना शुरू कर देगा। इन पहियों पर अशोक स्तंभर और इसरो के चिह्न उकेरे गए हैं, जो प्रज्ञान के आगे बढ़ने के साथ चांद की सतह पर अपने निशान छोड़ेंगे। इसी के साथ इसरो और अशोक स्तंभ के चिह्न चांद पर अंकित हो जाएंगे।