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जबरदस्त चर्चा… ‘दूरदर्शन’ की वजह से ‘पद्मावती’ को बनना पड़ा ‘पद्मावत’

जबरदस्त चर्चा... 'दूरदर्शन' की वजह से 'पद्मावती' को बनना पड़ा 'पद्मावत'
‘पद्मावती’ का नाम बदलकर अब ‘पद्मावत’ किया जा चुका है। फिल्म के निर्माताओं ने इसका नया पोस्टर जारी करते हुए लोगों तक यह बात पहुंचाई है। फिल्म का नाम बदलने को लेकर जो चर्चा गरम है उसमें कहा जा रहा है कि कहीं ये नाम ‘दूरदर्शन’ की बदौलत तो सामने नहीं आया।
बता दें कि ये पहली बार नहीं है जब संजय लीला भंसाली ने रानी पद्मावती की कहानी पर काम किया है। वे पहले भी 1980 के दशक में इस कहानी पर काम कर चुके हैं।
पुरानी पीढ़ी उन दिनों को याद कर सकती है जब टीवी हमारे देश में घर-घर में जगह जमा रहा था और ये कहानी नेशनल टेलीविजन पर दिखाई गई थी। 1988 में संजय भंसाली ने ‘पद्मावती’ की कहानी पर काम किया था और हर टीवी वाले घर ने इसे ‘भारत एक खोज’ में देखा था। तब कोई विरोध नहीं हुआ था, कोई हंगामा नहीं मचा था और ये भी बता दें कि तब संजय के नाम में भंसाली भी नहीं जुड़ा था। ‘भारत एक खोज’ को लगभग सालभर तक भारत के नेशनल चैनल ‘दूरदर्शन’ ने दिखाया था। इसके 26वें एपिसोड ‘द देल्ही सल्तनत एंड पद्मावत’ में रानी पद्मावती की कहानी दिखाई गई थी। इस एेपिसोड को श्याम बेनेगल ने निर्देशित किया था। संजय लीला भंसाली इस टीवी सीरीज से असिस्टेंट एडिटर बतौर जुड़े थे। तब संजय लीला भंसाली अपने नाम के साथ ‘लीला’ नहीं जोड़ा करते थे। उन्होंने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट से एडिटिंग का तीन साल वाला कोर्स किया था। इस टीवी सीरीज में भंसाली का किया काम, उनके शुरुआती कामों में से एक है। उनके अलावा तीन असिस्टेंट एडिटर और थे जिन्होंने इस लंबी सीरीज में काम किया था।
कहा जा रहा है कि एपिसोड के नाम ‘द देल्ही सल्तनत एंड पद्मावत’ से ही ‘पद्मावत’ निकला है। सेंसर ने इस फिल्म के संदर्भ में लगता है सरकारी चैनल ‘दूरदर्शन’ को याद किया है।
आप एपिसोड देखेंगे तो पाएंगे कि नेशनल टेलीविजन पर यह दिखाया जा चुका है कि अलाउद्दीन खिलजी ने आइने के जरिये रानी पद्मावती को देखा था। इसमें तो एक गीत के जरिए ये तक बोला गया है कि जब बादशाह ने खूबसूरत पद्मावती को देखा, तो वो बेहोश हो कर गिर पड़ा था। और तो और इस एपिसोड में आप ‘घूमर’ भी देख सकते हैं। बता दें कि संजय लीला भंसाली ने भी अपनी फिल्म में ‘घूमर’ गाना रखा है जो पद्मावती बनीं दीपिका पादुकोण पर फिल्माया गया है। इस एपिसोड में पद्मावती के जौहर को नहीं दिखाया गया था। यह कहानी यहां तब खत्म होती है जब राजा रतन सिंह को खिलजी की गिरफ्त से छुड़ा लिया जाता है। इस एपिसोड के अंत में ‘संजय भंसाली’ नाम को असिस्टेंट एडिटर्स की लिस्ट में सबसे ऊपर देखा जा सकता है।
ओम पुरी ने इस एपिसोड में खिलजी का रोल किया था। राजा रतन सिंह के किरदार में राजेंद्र गुप्ता नजर आए थे। पद्मावती बनी थीं सीमा केलकर।

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