जरूरतमंद मरीज को एक घंटे के भीतर रेमडेसिवीर इंजेक्शन उपलब्ध हो-हाईकोर्ट
जबलपुर । देश भर में कोरोना संक्रमण (Covid-19) की दूसरी लहर ने कोहराम मचा दिया है। जहां मध्यप्रदेश में कोरोना संकट और मरीजों के इलाज में बदइंतजामियों के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) ने अपना सुरक्षित रखा फैसला सुना दिया है। 49 पन्नों के अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण के हालात भयावह हैं। ऐसे हालात में हाईकोर्ट मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकता है। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कोरोना के जरूरतमंद मरीज को एक घंटे के भीतर रेमडेसिवीर इंजेक्शन उपलब्ध होना चाहिए।
कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा की पत्र याचिका सहित 6 जनहित याचिकाओं पर जबलपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को विस्तृत दिशा निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार को दखल देने का आदेश दिया है और ये सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि अस्पतालों में ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी ना हो पाए। हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि वो उद्योगों को दी जाने वाली ऑक्सीजन, अस्पतालों में पहुंचाएं और देश में रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन बढ़वाने का प्रयास करे। हाईकोर्ट राज्य सरकार को सभी दिशा निर्देशों पर अमल करने का आदेश दिया है और उससे अगली सुनवाई से पहले एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है। मामले पर अगली सुनवाई 10 मई को होगी।
जबलपुर हाईकोर्ट ने दिए ये आदेश
- जरूरत पड़े तो सरकार विदेशों से रेमडेसिवीर का आयात भी करवाए।
- आदेश में सबसे बड़ी बात ये कही कि किसी भी जरूरतमंद कोरोना मरीज को 1 घंटे के भीतर रेमडेसिविर इंजेक्शन मिल जाना चाहिए।
- राज्य सरकार सरकारी और निजी सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन और रेमडेसिवीर इंजेक्शन की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करे।
- प्रदेश में कोरोना की पहली लहर के बाद बंद कर दिये गए सभी कोविड केयर सेंटर्स को फिर से खोले जाएं। साथ ही सरकार ये सुनिश्चित करे कि निजी अस्पताल मरीजों से मनमानी वसूली ना कर पाएं। सरकार इलाज की दरों को फिक्स करे।
- प्रदेश में विद्युत शवदाह गृहों की संख्या बढ़ाने का भी निर्देश दिया।
- प्रदेश में कोरोना जांच की संख्या बढ़ाने और आरटी-पीसीआर टेस्ट का रिजल्ट अधिकतम 36 घंटे में देने का आदेश दिया है।
- ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि निजी अस्पतालों में एयर सैपरेशन यूनिट लगाने के लिए उन्हें सॉफ्ट लोन दिए जाएं।
- हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वो तत्काल सभी रिक्त पदों पर संविदा आधार पर नियुक्ति करे।
- अस्पताल किसी दूसरी बीमारी से पीड़ित मरीजों को भर्ती करने से इंकार ना करें। इस बात का विशेष ध्यान दिया जाए।