एक साल पहले अजूबा कर दिखाने वाली बिहार की बेटी ज्योति (jyoti) को आप भूले नहीं होंगे। पिछले साल कोरोना के कारण लगे राष्ट्रीय लॉकडाउन (national lockdown) में ज्योति अपने चोटिल पिता को गुरुग्राम से बिहार (bihar) के दरभंगा (drbhanga) तक साइकल पर पीछे बैठाकर लाई थी। उसने साइकल (cycle) से 1200 किमी का सफर तय किया था। उसी 15 साल की बच्ची ज्योति ने अपने पिता को खो दिया। कार्डियक अरेस्ट (cardiac arrest) के चलते ज्योति के पिता का निधन हो गया।
ज्योति पिछले साल मार्च में गुरुग्राम जहां उसके पिता मोहन पासवान ई-रिक्शा चलाते थे गयी हुई थी। उसी दौरान ज्योति के पिता एक सड़क दुर्घटना में चोटिल हो गए थे। तत्पश्चात देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच राष्ट्रीय लॉकडाउन लगा दिया गया था। सभी पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद थे तब ज्योति ने ऐसा कारनामा कर दिखलाया था जिसकी कल्पना करके ही दिल अवाक रह जाता है। अपने घर दरभंगा पहुंचने के लिए ज्योति ने 7 दिन तक पिता को पीछे बैठालके साइकल चलाई थी। इन 7 दिनों में दो दिन उनके पास खाने के लिए भी कुछ नहीं था।
ज्योति देश में मजदूरों के दर्द और कठिनाइयों का चहरा बन गयी थी जिन्हें लॉकडाउन की वजह से घर जाने के लिए ऐसी विषम परिस्थितियों से जूझना पड़ रहा था। अपने पिता की बदौलत ज्योति ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार भी प्राप्त किया था