जैविक कीटनाशकों का निर्माण एवं फसलों में उपयोग का दिया गया प्रशिक्षण
कटनी। स्वामी विवेकानंद शासकीय महाविद्यालय स्लीमनाबाद में व्यावसायिक शिक्षा के अंतर्गत स्नातक स्तर के विद्यार्थियों को प्राचार्या डॉ सरिता पांडे के मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण समन्वयक प्रीति नेगी के सहयोग से जैविक कृषि विशेषज्ञ रामसुख दुबे द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
प्रशिक्षण के क्रम में कम लागत तकनीकी के अंतर्गत विभिन्न जैविक कीटनाशकों को बनाने तथा फसलों में उपयोग का प्रशिक्षण दिया गया। फसलों को काटने वाले कुतरने वाले रस चूषक एवं फल छेदक आदि कीटों के द्वारा फसलों को नुकसान करने की जानकारी दी गई। नीमास्त्र ब्रह्मास्त्र एवं आग्नेयास्त्र आदि जैविक कीट नाशकों को फसलों की प्रारंभिक अवस्था से प्रति सप्ताह डालने से फसलों में कीट नहीं लगते।
पत्तियों पर कीटनाशकों के छिड़काव के लिए 100 लीटर पानी प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है। 100 लीटर पानी में ब्रह्मास्त्र एवं आग्नेयास्त्र कीटनाशक दवा को 2 से 3 लीटर घोलकर प्रति एकड़ फसलों में छिड़काव करने तथा ब्रह्मास्त्र को 6 माह तथा आग्नेयास्त्र को तीन माह तक रख सकते हैं।
रसचूषक कीटों के नियंत्रण के लिए नीमास्त्र जैविक कीटनाशक निर्माण हेतु नीम पत्ती 5 किलो गौ मूत्र 5 लीटर गोबर 1 किलो तथा पानी 100 लीटर को एक ड्रम में डालकर 48 घंटे तक रखें। दिन में तीन बार डंडे से हिलाते हैं। इसके बाद कपड़े से छान कर एक एकड़ की फसल में प्रति सप्ताह छिड़काव करने की तकनीकी जानकारी दी गई।