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दिल्ली हाईकोर्ट ने नरोत्‍तम मिश्रा की याचिका खारिज की

दिल्ली हाईकोर्ट ने नरोत्‍तम मिश्रा की याचिका खारिज कीभोपाल/ नईदिल्ली। दिल्‍ली हाईकोर्ट ने आज मंत्री नरोत्‍तम मिश्रा की याचिका खारिज कर दी।इस कारण अब मिश्रा देश का 14वां राष्ट्रपति चुनने के लिए 17 जुलाई को होने जा रहे मतदान में वोट नहीं डाल सकेंगे।इस फैसले के जरिए दिल्‍ली हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग के फैसले पर मुहर लगा दी है।मिश्रा और भाजपा के प्रवक्‍ता हितेश वाजपेयी के अनुसार मिश्रा अब इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में रखेंगे।दूसरी ओर कांग्रेस अध्‍यक्ष अरुण यादव ने नैतिकता के अाधार पर मिश्रा के इस्‍तीफे की मांग की है।
इस मामले में नरोत्‍तम मिश्रा ने कहा कि न्‍यायपालिका का वे पूरा सम्‍मान करते हैं। हम कानून विशेषज्ञों से राय लेकर सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे ताकि हमें न्‍याय मिल सके। उन्‍होंने अनेक सवालों के जवाब में कहा कि वे न्‍यायालयीन मामलों पर कोई टिप्‍पणी नहीं करेंगे।
इस मामले में याचिकाकर्ता राजेंद्र भारती ने कहा कि लोकतंत्र में जो हमारे सिद्धांत और मूल्‍य हैं इस फैसले से उन्‍हें मजबूती मिली है। राज्‍यपाल को तत्‍काल प्रभाव वे मंत्री को बर्खास्‍त कर निर्वाचन आयोग के फैसले का सम्‍मान करना चाहिये।
मिश्रा को 2008 के पेड न्यूज मामले में चुनाव आयोग द्वारा तीन साल के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया है।इससे पहले कल चुनाव आयोग ने जो मतदाता सूची भेजी उसमें डॉ. मिश्रा का नाम तो है लेकिन उनके नाम के संदर्भ में यह भी नोट लिखा है कि ‘मतदान का अधिकार नहीं” है। इसके अलावा आयोग ने एक पत्र पृथक से विधानसभा सचिवालय को लिखा है। इसमें डॉ. मिश्रा को अयोग्य घोषित किए जाने के फैसले का हवाला देते हुए राष्ट्रपति चुनाव में मतदान का अधिकार नहीं होने की बात लिखी है।
उल्‍लेखनीय है कि नरोत्तम मिश्रा को तीन साल तक चुनावी गतिविधियों से प्रतिबंधित करने के फैसले के खिलाफ लगाई गई याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने कल अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
आगामी राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा लेने से वंचित हो जाने के कारण मिश्रा ने फैसले को मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने इसपर तत्काल फैसला लेने से इंकार कर दिया था। जिसके बाद इस फैसले को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने मिश्रा को इसके लिए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की सलाह दी थी।इसके बाद आज दिल्‍ली हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया।

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