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देश का सबसे लंबा रेलवे ब्रिज बनेगा कटनी में, 14 किमी होगी लंबाई
कटनी। देश का सबसे लंबा रेल ब्रिज प्रदेश के कटनी जिले में बनेगा। 14 किमी लंबे इस ब्रिज को बनाने में 582 करोड़ खर्च होंगे। ब्रिज 5 साल में बनकर तैयार होगा। अभी देश का सबसे लंबा ब्रिज केरल के कोच्चिं के पास 4.62 किमी है। ब्रिज की डिजाइन और सर्वे का का पूरा हो गया है ।
ब्रिज से गुजरनी वाली एक लाइन 14 किमी लंबी होगी और दूसरी तकरीबन 7 किमी की। यह ब्रिज कटनी यार्ड के ऊपर से होते हुए बीना लाइन को जोड़ेगा। इसका फायदा पैसेंजर और गुड्स, दोनों ट्रेनों को मिलेगी। दरअसल पश्चिम मध्य रेलवे की सीमा में आने वाले इस ब्रिज को बनाने की स्वीकृति मोदी कैबिनेट ने दे दी है। कटनी से सिंगरौली तक रेल लाइन के दोहरीकरण के साथ इस ब्रिज को शामिल किया गया है।
यह होगी खासियत
– इस ब्रिज में दो लाइन गुजरेगी अप लाइन तकरीबन 14 किमी लंबे ब्रिज से गुजरेगी
– दूसरी लाइन तकरीबन 7 किमी की होगी, दोनों लाइन के लिए 21 किमी लंबा ब्रिज बनेगा
– डिजिटल सिंग्नल होने के साथ इसके रखरखाव सभी ऑनलाइन होगा
– ब्रिज के खंभों पर ट्रेन का पड़ने वाला प्रेशर हर ट्रेन के गुजरने पर नापा जाएगा
बायपास होगा ब्रिज
– इस ब्रिज को कटनी न्यू जंक्शन के ऊपर से निकालते ही बायपास बनाया जाएगा
– ब्रिज के नीचे स्टेशन और दूसरी लाइन होगी, इसमें इसका कोई प्रभाव नहीं होगा
– इसे डिजाइन करने के लिए एक विशेष टीम पमरे ने बनाई जाएगी
– इतनी लंबी लाइन में पैसेंजर को ट्रेन का नया अनुभव मिलेगा
अभी तक सिर्फ
– अभी तक देश के 16 रेल जोन में इतनी लंबी ब्रिज नहीं बना है
– यह देश ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे लंबा ब्रिज होगा
– इसे तकरीबन 5 साल के भीतर बनाकर तैयार किया जाएगा
– अभी तक दक्षिण राज्य केरल में इडापल्ली के वलरपदम में लंबा ब्रिज बना है
– यह ब्रिज 4.62 किमी लंबा है, जिसे बनाने में 200 करोड़ की लागत आई थी
– इसे रेल विकास निगम ने 28 महीनों में बनाया गया था
20 नहीं 80 किमी होगी गुड्स ट्रेन की रफ्तार
रेलवे बोर्ड ने इस बार पैसेंजर ट्रेन से ज्यादा गुड्स ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने पर जोर दिया है। अभी तक गुड्स ट्रेन की औसतन रफ्तार 20 से 25 किमी प्रति घंटे होती थी, लेकिन रेलवे बोर्ड ने जो प्रस्ताव तैयार किया है, उसमें इनकी औसतन रफ्तार 80 किमी प्रति घंटे रखना है।
इसलिए कटनी- सिंगरौली रेल लाइन का दोहरीकरण,रमना-सिंगरौली रेल लाइन और अनूपपुर-कटनी रेल लाइन की स्वीकृति बजट से पहले दे दी है। इन लाइनों को गुड्स ट्रेन चलाने के लिहाज से ही बनाया जा रहा है। इसे रेल बजट के पहले ही स्वीकृति दे दी है।