राष्ट्रीय
नकली cheque के जरिए एनआरआई के खाते से उड़ाए 49 लाख रुपए
इंदौर,नकली चेकों के जरिए दुबई में रह रहे एनआरआई के खाते से 49 लाख 9 हजार रुपए ट्रांसफर करने का मामला सामने आया है। बदमाशों ने वारदात को इतनी सफाई से अंजाम दिया कि किसी को भनक तक नहीं लगी। मामले में बैंक के अधिकारी भी शक के दायरे में हैं। बैंक की जांच व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
दुबई में रह रहे एनआरआई अब्बास अली बड़वानीवाला का बैंक ऑफ बड़ौदा की शीतलामाता शाखा में खाता है। मंगलवार रात बैंक के मैनेजर (ऑपरेशन) हेमंत साकोरिकर ने मल्हारगंज थाने पहुंचकर इनके खाते में हुई धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई।
उन्होंने पुलिस को बताया कि धोखाधड़ी नकली चेक और आरटीजीएस के जरिए हुई है। बड़वानीवाला के खाते के चार चेकों के जरिए 49 लाख 9 हजार 400 रुपए मालेगांव महाराष्ट्र की एक्सिस बैंक के दो खातों में ट्रांसफर हुए हैं। 16 मई को खाताधारी के रिश्तेदार इस्माइल बैंक आए और उन्होंने अधिकारियों को बताया कि जिन चेकों के जरिए रकम ट्रांसफर होने की बात कही जा रही है, वे तो उनके पास हैं। उन्होंने इन्हें कभी जारी नहीं किया। उन्होंने बैंक के अधिकारियों को चेक भी दिखाए।
चार चेकों में से 16 नंबर के चेक से दिनांक 17 अप्रैल को आरटीजीएस के माध्यम से 8 लाख 15 हजार रुपए एक्सिस बैंक मालेगांव में निमेश कांतिलाल जैन के खाते में ट्रांसफर हुए। 20 नंबर के चेक से आरटीजीएस के जरिए 9 लाख 75 हजार की रकम 19 अप्रैल को जैन के खाते में ट्रांसफर हुई। चेक नंबर 22 से 15 लाख 89 हजार 400 रुपए चेक क्लियरिंग के माध्यम से एक्सिस बैंक मालेगांव के माहोदरी इंटरप्राइजेस के खाते में ट्रांसफर हुए।
इसी तरह चेक नंबर 28 के जरिए 15 लाख 30 हजार रुपए 17 अप्रैल को चेक क्लीयरिंग के माध्यम से माहोदरी इंटरप्राइजेस में ट्रांसफर हुए। साकोरिकर ने रिपोर्ट में कहा है कि खाताधारी के पास चारों चेक असल मौजूद हैं। फर्जीवाड़े की जानकारी लगते ही बैंक ने इस संबंध में एक्सिस बैंक मालेगांव को पत्र लिखकर कहा था कि उक्त खातों में लेन-देन बंद कर दें, ताकि मामले की जांच हो सके, लेकिन एक्सिस बैंक ने ऐसा नहीं किया। उलटा उन्होंने लिखकर दे दिया कि खाताधारों की जानकारी देना संभव नहीं।
दोनों बैंकों के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
टीआई मल्हारगंज पवन सिंघल के मुताबिक धोखाधड़ी में दोनों बैंकों के अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है। धोखाधड़ी के वक्त खाताधारी के खाते में 80 लाख रुपए थे। आरोपियों को उसके साइन और चेक के नंबरों की जानकारी कैसे मिली, इसकी जांच की जा रही है। चेक क्लीयर करते वक्त बैंक ने खाताधारी को मैसेज भी नहीं किया। इतनी बड़ी-बड़ी रकम ट्रांसफर होती रही और बैंक के अधिकारियों ने खाताधारी को सूचना देना तक जरूरी नहीं समझा। सिंघल ने बताया कि मामले में गड़बड़ी करने वाले बैंक अधिकारियों को भी आरोपी बनाया जा सकता है।