देश में चल रही तमाम विदेशी इंटरनेट मीडिया कंपनियों के लिए तय नियमों का पालन करने की डेडलाइन आज खत्म हो रही है। कल से नये नियम लागू हो जाएंगे और जो कंपनियां उसका पालन नहीं करेंगी, उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। इसे देखते हुए फेसबुक की ओर से एक बड़ा बयान सामने आया है। कंपनी ने कहा है कि वह आइटी नियमों के उन सभी नियमों का पालन करेगा, जो देश में लागू होते हैं। वैसे उन्होंने कहा कि अभी कुछ मुद्दों पर सरकार से बातचीत चल रही है।
We aim to comply with the provisions of the IT rules and continue to discuss a few of the issues which need more engagement with the government. Pursuant to the IT rules, we are working to implement operational processes and improve efficiencies: Facebook spokesperson pic.twitter.com/fXN7J9KRG3
— ANI (@ANI) May 25, 2021
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने 25 फरवरी 2021 को भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय की तरफ से डिजिटल कंटेंट को रेग्यूलेट करने के लिए कुछ नियम बनाये थे और इसके लिए Facebook, twitter, Instagram जैसे सभी सोशल मीडिया कंपनियों को 3 महीने का समय दिया था। मिली जानकारी के मुताबिक सोशल मीडिया की ज्यादातर बड़ी कंपनियों ने इन नियमों को लागू नहीं किया है। ऐसे में सरकार चाहे तो उनके इंटरमीडियरी स्टेटस को खत्म कर सकती है और उन पर आपराधिक कार्रवाई भी की जा सकती।
नियम के अनुसार, सोशल मीडिया कंपनियां, जिनके भारत में 50 लाख से ज्यादा यूजर्स हैं, उन्हें महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थ (Intermediary) नामित किया गया।
गाइडलाइन के तहत सोशल मिडिया प्लेटफॉर्म्स को अपने यहां शिकायत अधिकारी, एक मुख्य अनुपालन अधिकारी और एक नोडल कॉन्टैक्ट अधिकारी की नियुक्ति करनी है।
अगर कंपनियां तीन महीने के भीतर इन नए नियमों पालन करने में विफल रहती हैं, तो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 के तहत उन्हें दी गई सुरक्षा खत्म हो सकती है।
धारा 79 सोशल मीडिया कंपनियों को उनके प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किए गए कंटेंट के लिए कानूनी अभियोजन से छूट प्रदान करती है। यानी अगर उनके प्लेटफॉर्म पर कुछ गैरकानूनी और अवैध सामग्री शेयर की जाती है, तो वे आपराधिक रूप से उत्तरदायी होंगे।
सरकार की ओर से एक निगरानी तंत्र होगा, जिसमें रक्षा, विदेश मंत्रालय, गृह, सूचना एवं प्रसारण, कानून, आईटी और महिला एवं बाल विकास मंत्रालयों के प्रतिनिधियों के साथ एक समिति शामिल होगी।
इनके पास आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों पर सुनवाई करने के लिए स्वत: संज्ञान लेने की शक्ति होगी।
सरकार इसके लिए संयुक्त सचिव या उससे ऊपर के रैंक के एक अधिकारी को “अधिकृत अधिकारी” के रूप में नियुक्त करेगी, जो कंटेंट को ब्लॉक करने का निर्देश दे सकता है।
कंपनियों का क्या है जवाब?
सूत्रों के मुताबिक अब तक एक को छोड़कर किसी भी कंपनी ने ऐसे किसी अधिकारी की नियुक्ति नहीं की है। कुछ कंंपनियों ने इसके लिए छह महीने का समय मांगा है और कुछ अमेरिका में अपने मुख्यालय से निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं। आपत्तिजनक बात ये है कि ये कंपनियां भारत में काम कर रही हैं, भारत से मुनाफा कमा रही हैं, लेकिन दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए अपने मुख्यालय के जवाब की बाट जोह रही हैं। वहीं ट्विटर जैसी कंपनियां अपने खुद के फैक्ट चेकर रखती हैं। लेकिन इनकी न तो कई पहचान होती है और न ही वे ये बताते हैं कि तथ्यों की जांच कैसे की जा रही