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विद्यार्थियों को जैविक खेती का दिया गया प्रशिक्षण

कटनी। मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग द्वारा व्यावसायिक शिक्षा के अंतर्गत शासकीय महाविद्यालय विजयराघवगढ़ में स्नातक स्तर के विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ आत्मनिर्भर स्वावलंबी एवं स्वरोजगार स्थापित करने के लिए प्राचार्या डॉक्टर सुषमा श्रीवास्तव के मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण समन्वयक डॉ अरुण कुमार एवं डॉ सुमन पुरवार के सहयोग से जैविक कृषि विशेषज्ञ रामसुख दुबे द्वारा शासन द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुसार विद्यार्थियों को जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

प्रशिक्षण के क्रम में विद्यार्थियों को जैविक खेती की आवश्यकता भूमि मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को हो रहे नुकसान रासायनिक एवं जैविक खेती में अंतर तथा जैविक खेती के फायदे कम लागत तकनीकी जीरो बजट फार्मिंग के अंतर्गत ग्राम में उपलब्ध संसाधनों कचरा गोबर से जैविक खाद एवं गोमूत्र तथा पत्तियों से कीटनाशक बनाकर फसलों में उपयोग करने का तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया।

जिससे बाजार पर निर्भरता कम हो कम लागत से अधिक उत्पादन प्राप्त कर जैविक कृषि उत्पादों को अधिक दाम पर विक्रय किया जाए जिससे कृषि लाभ का धंधा बन सके।

रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध एवं असंतुलित मात्रा में उपयोग से जीवांश कार्बन का स्तर निरंतर घटता जा रहा है जिसके कारण मृदा की भौतिक रासायनिक एवं जैविक गुणों मैं गिरावट आई है अतः भविष्य में मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता को संरक्षित रखना तथा इसको टिकाऊ बनाए रखने के लिए जैविक खेती की आवश्यकता का प्रशिक्षण दिया गया।

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