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वो 5 जज, जिन्होंने मुस्लिम महिलाओं को दिलाई ट्रिपल तलाक से आजादी
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की पांज जजों की संवैधानिक पीठ ने ट्रि्पल तलाक पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। पांच में से तीन जजों ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया है। यूं तो किसी जज का कोई धर्म नहीं होता और कानून ही उनकी सबसे बड़ी आस्था होती है, लेकिन इस पीठ का गठन सिख, क्रिश्चियन, पारसी और एक मुस्लिम जज से मिलाकर किया गया था।
एक नजर इन जजों के प्रफाइल पर –
1. चीफ जस्टिस जेएस खेहर: जस्टिस खेहर सिख समुदाय से ताल्लुक रखने वाले देश के पहले चीफ जस्टिस हैं। उन्होंने देश के 44वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली है। वे 2011 में सुप्रीम कोर्ट जज बने थे और इसी साल 27 अगस्त को रिटायर हो जाएंगे।
2. जस्टिस यूयू ललित: जस्टिस ललित ने 1983 में बाम्बे हाई कोर्ट से वकालत शुरू की थी। इसके बाद 2004 में वे सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट बने थे। 2014 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने। जस्टिस ललित 2022 में रिटायर होंगे।
3. जस्टिस एस अब्दुल नजीर (मुस्लिम): 1958 में जन्में जस्टिस नजीर ने 1983 में कर्नाटक हाई कोर्ट में वकालत शुरू की थी। वे 2003 में कर्नाटक हाई कोर्ट के अतिरिक्त जज बने थे और इसी साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए हैं।
4. जस्टिस कुरियन जोसफ: जस्टिस जोसफ केरल से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने 1979 में केरल हाई कोर्ट में वकालत शुरू की थी। 2000 में केरल हाई कोर्ट के जज बने। वे आठ मार्च, 2013 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने और अगले साल 29 नवंबर को रिटायर होंगे।
5. रोहिंग्टन फली नरीमन: 1956 में जन्मे नरीमन महज 37 साल की उम्र में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर काउंसल बने। हालांकि उस वक्त इस पद के लिए कम से कम 45 साल की उम्र का होना जरूरी था लेकिन जस्टिस वेंकटचेलैया ने फरीमन के लिए नियमों में संशोधन किया। पश्चिमी शास्त्रीय संगीत में रुचि और इसके गहन जानकार हैं।