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संसद मेरा मंदिर, जनता की सेवा मेरा जुनून-प्रणव मुखर्जी
नई दिल्ली। निर्वतमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आज बतौर राष्ट्रपति अपने कार्यकाल का अंतिम दिन पूरा कर चुके हैं। वे राष्ट्र के नाम संदेश दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि देश की जनता की सेवा करना उनका जुनून रहा है और संसद उनके लिए एक मंदिर रहा है। मेरे सार्वजनिक जीवन के पिछले 50 वर्षों से, मेरा गुप्त पाठ भारत का संविधान रहा है।
विकास के लिए वास्तविक होने के लिए, भूमि के सबसे गरीबों को यह महसूस करना चाहिए कि वे देश की कथा का हिस्सा हैं। मैंने देश से जितना दिया है उससे ज्यादा मुझे प्राप्त हुआ है। इसके लिए, मैं हमेशा भारत के लोगों से ऋणी रहूंगा।
मैं अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वहन करने में कितना सफल था, समय के साथ, इतिहास के महत्वपूर्ण लेंसों के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।
इससे पहले पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुझे जो दिशा निर्देश प्राप्त हुए थे, वह मुझे बेहद मददगार साबित होंगे। मुझे यकीन है कि उन लोगों के साथ काम करने वालों को ऐसा ही लगता है।