सावधान: भारत के इस प्रदेश में मिला कोरोना वायरस से भी खतरनाक वायरस निपाह, जनिये कितना खतरनाक
यह वायरस इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि इसकी न तो अब तक कोई दवाई बनी है और न ही कोई वैक्सीन।
महाराष्ट्र में निपाह वायरस मिला है, जिसे कोरोना वायरस से भी खतरनाक वायरस माना जा रहा है। यह वायरस इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि इसकी न तो अब तक कोई दवाई बनी है और न ही कोई वैक्सीन। कोरोना की तीसरी लहर से पहले मिले इस वायरस से सबकी चिंता बढ़ा दी है। यह वायरस चमगादड़ से मिला है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, महाराष्ट्र के सतारा जिले के महाबलेश्वर की गुफाओं में निपाह वायरस का पता चला है। महाराष्ट्र के महाबलेश्वर के जंगलों में एक गुफा के अंदर रहने वाले चमगादड़ों में निपाह वायरस की मौजूदगी की पुष्टि हुई है।
वैज्ञानिकों ने इस वायरस को लेकर एक अलर्ट जारी किया है। इस खबर की पुष्टि होते ही स्थानीय लोग काफी परेशान हैं और उन्हें एक नए वायरस से खतरे की चिंता सता रही है।
निपाह वायरस क्या है (What is Nipah Virus)
निपाह वायरस से होने वाला इन्फेक्शन जानवरों से इंसानों में फैलता है। यह वायरस जानवरों और इंसानों में गंभीर किस्म की बीमारी पैदा करता है। इस वायरस का प्रारंभिक स्रोत फल चूसने वाले चमगादड़ हैं।
इस जानलेवा वायरस का कोई इलाज नहीं है। यह मनुष्यों और जानवरों दोनों के लिए जानलेवा बन सकता है। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार निपा वायरस का उपहार टेरोपस जीनस नामक एक खास नसल के चमगादड़ से मिला है।
कितना खतरनाक है निपाह वायरस
निपाह वायरस अगर इंसानों में फैलता है तो जानलेवा हो सकता है। निपाह वायरस का अभी तक कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है, इसलिए मृत्यु का जोखिम 65 से 100 प्रतिशत है।
कैसे फैलता है निपाह वायरस
निपाह वायरस सीधे संपर्क से फैलता है। साथ ही संक्रमित व्यक्ति के साथ खाना शेयर करने से भी फैल सकता है। इससे संक्रमित व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है, खांसी आती है, थकान और दर्द महसूस होता है। इसके अलावा दिमागी बुखार जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। ज्यादा बुखार आने पर दिमाग सूज जाता है और इंसान की मौत हो जाती है।
निपाह वायरस के लक्षण, कारण और बचने के उपाय
1) निपाह वायरस के लक्षणों में सांस लेने में परेशानी, दिमागी सूजन, बुखार, सिरदर्द, अनिद्रा, मतली, कमजोरी, विचलन और भ्रम कि स्थिति आदि शामिल हैं। एक मरीज 48 घंटे के भीतर कोमा में जा सकता है।
2) वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के अनुसार, इस खतरनाक वायरस के लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं है। इससे संक्रमित व्यक्ति के लिए केवल ‘इंसेंटिव सपोर्टिव केयर (आईएससी) ही इलाज है।
3) यह वायरस सुअरों और अन्य घरेलू जानवरों को भी संक्रमित कर सकता है। इस वायरस का प्रारंभिक स्रोत फल चूसने वाले चमगादड़ हैं।
4) डबल्यूएचओ के अनुसार, एनआईवी को पहली बार 1998 में मलेशिया में पहचाना गया था। साल 2004 में खजूर का सेवन करने के बाद कई लोग संक्रमित हो गए थे। इसका कारण यह था कि उन्होंने चमगादड़ द्वारा चूसे हुए खजूर का सेवन किया था।
5) यह वायरस संक्रमित चमगादड़, सूअर, या इस वायरस से पीड़ित के साथ सीधे संबंध में आने से फैलता है। डॉक्टर सलाह देते हैं कि जमीन पर पड़े हुए फलों का सेवन नहीं करना चाहिए। ध्यान रहे कि यह हवा के जरिए फैलने वाला वायरस नहीं है।
6) इससे बचने के लिए आपको सूअरों, चमगादड़ और इससे पीड़ित व्यक्ति के पास जाने से बचना चाहिए।
7) डॉक्टरों को इससे बचने के लिए संक्रमित व्यक्ति के इलाज के दौरान मास्क और ग्लव्स पहनने चाहिए।
8) आपको जमीन पर पड़े हुए फलों को खाने से बचना चाहिए। संभव है वो फल चमगादड़ ने खाएं हों, उनका सेवन करने से आप इस वायरस की चपेट में आ सकते हैं।
9) अगर आप सूअर पालते हैं, तो आपको उनके पास जाने से बचना चाहिए और अन्य लोगों को भी उनके पास जाने से रोकना चाहिए।