संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही राज्यसभा के 12 सदस्यों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हुई। सदन में जोरदार हंगामा और अफरा-तफरी मचाने के चलते इन 12 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था। वहीं, अब इस मामले में राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि यह पहली बार नहीं है, जब सदन में सांसदों के निलंबन की घटना हुई हो। उन्होंने कहा कि 1962 से 2010 तक 11 बार ऐसे मौके आए हैं, जब सदस्यों को निलंबित किया गया है। क्या वे सभी अलोकतांत्रिक थे? सभावति ने कहा कि इस प्रतिष्ठित सदन के कुछ सम्मानित नेताओं और सदस्यों ने अपने विवेक से 12 सदस्यों के निलंबन को ‘अलोकतांत्रिक’ बताया। मैंने यह बार बार समझने का प्रयास किया कि क्या सदन में जिस तरह का हो हल्ला हुआ क्या उसका कोई औचित्य था?
गौरतलब है कि सभापति वेंकैया नायडू ने निलंबन वापसी की विपक्ष की मांग पर स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा है कि राज्यसभा के 12 विपक्षी सांसदों का निलंबन वापस नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सांसद अपने किए पर पश्चाताप होने की बजाय, उसे सही ठहरा रहे हैं। ऐसे में उनका निलंबन वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता है। बता दें कि निलंबित सदस्यों में कांग्रेस के छह, शिवसेना और टीएमसी के दो-दो जबकि सीपीएम और सीपीआई के एक-एक सांसद शामिल हैं। बता दें कि इन 12 सांसदों ने किसान आंदोलन सहित अन्य मुद्दों के बहाने सदन में जमकर हो-हंगामा किया था। वहीं, शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन खड़गे ने नियमों का हवाला देकर कहा था कि सांसदों के निलंबन का कोई आधार नहीं है, इसलिए उनके निलंबन का फैसला वापस लिया जाना चाहिए।