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जनअभियान परिषद द्वारा संचालित अध्ययन केंद्र रीठी में संत गाडगे जी की 149 वीं जयंती का हुआ आयोजन

रीठी। मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद द्वारा संचालित पाठ्यक्रम समाजकार्य में स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम जो कि शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय रीठी में प्रत्येक रविवार को कक्षाएं संचालित की जाती है, आज सर्वप्रथम सामूहिक परिचर्चा में प्रेरणागीत के साथ संत गाडगे जयंती मनाई गई। इसअवसर पर मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद के जिला समन्वयक डॉ. तेजसिंह केसवाल जी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। उन्होंने अपने उद्बोधन में बताया कि संत गाडगे भारत में स्वच्छता के प्रतीक और एक प्रसिद्ध समाज सुधारक माने जाते हैं, उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया, उनका मानना था कि चाहे टूटे घरों में रहो, लेकिन अपने बच्चों को शिक्षा जरूर दो। संत जी के योगदान को याद करते हुए बताया कि बाबा भीमराव अम्बेडकर उन्हें अपना गुरु मानते थे, गाडगे जी एक प्रसिद्ध समाज सुधारक और संत थे, जिन्होंने अपना जीवन गरीबों और शोषितों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। उनके संदेश में स्वच्छता, शिक्षा और अस्पृश्यता व अंधविश्वास जैसी सामाजिक बुराइयों के उन्मूलन पर जोर दिया गया था। इसके पश्चात परामर्शदाता गोवर्धन रजक ने संत गाडगे जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि संत गाडगे बाबा का जन्म महाराष्ट्र के अमरावती जिले के शेणगांव अंजनगांव में 23 फरवरी 1876 को हुआ था, उनका बचपन का नाम डेबू जी था। वे दीन-दुखियों तथा उपेक्षितों की सेवा को ही सच्ची ईश्वर भक्ति मानते थे। गाडगे बाबा अनपढ़ थे, किंतु बड़े ही बुद्धिवादी थे। गाडगे बाबा ने महाराष्ट्र के कोने-कोने में अनेक धर्मशालाएं, चिकित्सालय, गौशालाएं, विद्यालय, तथा छात्रावासों का निर्माण कराया। इसीक्रम में परामर्शदाता अरुण तिवारी ने बताया कि संत गाडगे अक्सर कहते थे कि हर मनुष्य को चाहिए कि वह इस भगवान को पहचाने और तन-मन-धन से उसकी सेवा करें। भूखों को भोजन, प्यासे को पानी, नंगे को वस्त्र, अनपढ़ को शिक्षा, बेकार को काम, निराश को ढाढस और मूक जीवों को अभय प्रदान करना ही भगवान की सच्ची सेवा है। इसी अवसर पर एमएसडब्ल्यू के छात्र महेश बर्मन, प्रशांत तिवारी, राजकुमार लोधी, साक्षी नामदेव ने भी विचार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन परामर्शदाता शरद यादव द्वारा किया गया। इसके पश्चात जिला समन्वयक जी द्वारा परामर्शदाताओं से चर्चा के दौरान परीक्षा फॉर्म व शुल्क जमा के सम्बंध में जानकारी ली गई व असाइनमेंट अपलोड करने के संबंध में निर्देश दिया कि फरवरी माह में कार्य पूर्ण करायें ताकि शतप्रतिशत लक्ष्य पूर्ण हो सके। समापन सत्र के पूर्व सभी कक्षाओ के वैकल्पिक विषयों की पुस्तकें छात्र/छात्राओं को वितरित की गई एवं भूतपूर्व छात्र/छात्राओं को जिन्होंने पाठ्यक्रम पूर्ण कर लिया है उन्हें अंकसूची का वितरण सम्मानीय जिला समन्वयक जी द्वारा प्रदान की गई। आज की कक्षा में छात्र/छात्राओं के साथ परामर्शदाता अरुण तिवारी, गोवर्धन रजक, शरद यादव, रूपा बर्मन भावना सिंह सिकरवार की उपस्थिति रही।

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