25 से 50 प्रतिशत सामग्री मप्र के उद्यमों से खरीदना किया अनिवार्य, महिला समूहों को मिलेगी प्राथमिकता। राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश भंडार क्रय एवं सेवा उर्पाजन नियम 2015 में बदलाव कर नए संशोधित नियम लागू कर दिए हैं।
इन नए नियम में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के उद्यमियों के उद्यमों को खरीदी में प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही शासकीय विभाग-संस्था द्वारा सामग्री खरीदने में मध्य प्रदेश के महिला स्वसहायता समूहों को पहली प्राथमिकता में रखा जाएगा।
नए भंडार क्रय एवं सेवा उपार्जन नियम में मध्य प्रदेश के उद्यमों से 25 से 50 प्रतिशत सामग्री क्रय करने की अनिवार्यता रखी गई है। राज्य सरकार का उद्देश्य है कि इससे मध्य प्रदेश के उद्यमों को वित्तीय मदद मिलेगी।
नए नियम में स्टार्टअप को भी प्राथमिकता दी गई है। प्रविधान किया गया है कि लघु उद्योग निगम के माध्यम से सामग्री क्रय करने पर क्रयकर्ता विभाग को निगम को 0.5 प्रतिशत सेवा शुल्क देना होगा।
निविदा की प्रतिभूति की राशि क्रय-उपार्जन की जाने वाली सामग्री के अनुमानित मूल्य के अनुसार होगी, जिनमें दस करोड़ तक तीन प्रतिशत, दस करोड़ से 50 करोड़ तक (बढ़ी हु़ई राशि का 0.5 प्रतिशत), 50 करोड़ से अधिक पर (बढ़ी हुई राशि का 0.5 प्रतिशत ) प्रतिभूति होगी। इन नियमों को विस्तृत एवं स्पष्ट करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति उप नियम बनाएगी, जिसे अलग से जारी किया जाएगा।
बिना टेंडर खरीदी जा सकेगी सामग्री
बिना कोटेशन के सामग्री के क्रय के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रमाण-पत्र के आधार पर बिना कोटेशन या निविदा आमंत्रित किए पचास हजार रुपये तक के मूल्य के अनारक्षित सामग्री का जेम पोर्टल या स्थानीय बाजार के माध्यम से क्रय किया जा सकेगा।
स्टार्टअप के लिए विशेष प्रविधान
शासन के समस्त विभाग-संस्था एक करोड़ रुपये तक की निविदा में स्टार्टअप के लिए पृथक से पीक्यूआर निर्धारित कर सकेंगे। विभाग अगर उचित समझे तो स्टार्टअप को पीक्यूआर में छूट दे सकेंगे। इसके अलावा निविदा में भाग लेने के लिए स्टार्टअप को आयु संबंधित समस्त आर्हताओं जैसे अनुभव, टर्नओवर आदि से छूट दी जाएगी।
ब्लैक लिस्ट कंपनी एमएसएमई के पोर्टल पर होगी प्रदर्शित
ब्लैक लिस्ट कंपनियों की सूची एमएसएमई विभाग के पोर्टल पर प्रदर्शित होगी। इससे ब्लैक लिस्ट कंपनी अन्य विभागों को धोखे में रखकर टेंडर में भाग नहीं ले सकेगी। यदि ब्लैक लिस्ट कंपनी किसी विभाग के टेंडर प्रक्रिया में भाग लेती है तो संबंधित विभाग एमएसएमई के पोर्टल पर ऐसी कंपनियों के बारे में पता कर सकेगा और टेंडर प्रक्रिया से ब्लैक लिस्ट कंपनी को बाहर कर सकेगा।
नए नियम जारी कर दिए हैं। नियम को और स्पष्ट करने मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति तय करेगी कि समूहों से कैसे और किन उत्पादों का क्रय किया जाए।
– पी नरहरि, सचिव एमएसएमई मप्र।