आश्विन अमावस्या पितृगण के निमित विशेष पर्व है, जिसमें पितृ के लिए पिंडदान, तर्पण व श्राद्ध आदि करके व्यक्ति पितृ ऋण से मुक्ति पा सकता है तथा पितृ, मातृ, भ्रातृ, कन्या, पत्नी व प्रेत आदि ग्यारह श्रापों से मुक्ति पा सकता है। आश्विन अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या, पितृ विसर्जनी व महालय विसर्जन नामों से भी जाना जाता है। वैसे तो शास्त्रोक्त विधि से किया हुआ श्राद्ध सदैव कल्याणकारी होता है, परंतु जो लोग शास्त्रोक्त विधि से अपने पितृ की देहांत तिथि के अनुसार पूर्व पंद्रह दिनों में श्राद्धकर्म न कर पाएं, उन्हें कम से कम आश्विन अमावस्या पर पितृगण के निमित पिंडदान, तर्पण व श्राद्धकर्म अवश्य ही करना चाहिए। जिससे वो पितृ, मातृ, भ्रातृ, कन्या, पत्नी व प्रेत आदि ग्यारह श्रापों से मुक्ति पा सकें।
सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध मुहूर्त: सर्वपितृ अमावस्या का पर्व मंगलवार दी॰ 19.09.17 को मनाया जाएगा। इस दिन मध्यान व्यापीनी अमावस्या तिथि मंगलवार दी॰ 19.09.17 को दिन 11:52 से प्रारंभ होकर बुधवार दी॰ 20.09.17 को प्रातः 10:59 तक रहेगी। चंद्रमा सिंह राशि व पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में रहेगा। राहुकाल शाम 15:16 से लेकर शाम 16:46 तक है जिसमें श्राद्ध वर्जित है। ऐसे में व्यवस्था है कि राहुकाल से बाद तर्पण व पिण्डदान करें। श्राद्ध हेतु श्रेष्ठ तीन मुहूर्त हैं, कुतुप दिन 11:52 से दिन 12:41 तक, रौहिण दिन 12:41 से दिन 13:30 तक, अपराह्न दिन 13:30 से शाम 15:50 तक। अभिजीत महूर्त दिन 11:50 से दिन 12:38 तक। अतः श्राद्धकर्म तर्पण व पिण्डदान हेतु श्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा दिन 11:52 से लेकर दिन 12:38 तक।