नई दिल्ली, एजेंसियां। भारत में 5जी सेवा के लिए ट्रायल में चीनी कंपनियों को भागीदारी नहीं मिलने से चीन में बेचैनी है। भारत की नई दूरसंचार नीति पर चिंता जताते हुए चीन ने कहा है कि यह कदम संबंधित भारतीय उद्योग में नवाचार और विकास के अनुकूल नहीं है। भारत में 5जी सेवा के लिए ट्रायल में चीनी कंपनियों को भाग लेने की इजाजत नहीं दी गई है। मंगलवार को दूरसंचार विभाग ने लगभग एक दर्जन कंपनियों को 5जी तकनीक पर ट्रायल करने की अनुमति दी थी।
दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों भारती एयरटेल, रिलायंस जियो इंफोकाम लिमिटेड, वोडाफोन आइडिया लिमिटेड और एमटीएनएल को 5जी ट्रायल की इजाजत दी गई है। इन कंपनियों ने मूल उपकरण निर्माता कंपनियों और तकनीक प्रदाताओं एरिक्सन, नोकिया, सैमसंग और सी-डाट के साथ करार किया है। भारत में कई वर्षो से काम कर रही हुआवे या जेडटीई इस सूची में शामिल नहीं है।
भारत में चीनी दूतावास के प्रवक्ता वांग जियाओजियान ने एक बयान जारी कर कहा कि हमें इस बात की चिंता और अफसोस है कि चीनी दूरसंचार कंपनियों को भारतीय दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के साथ 5जी ट्रायल में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई। संबंधित चीनी कंपनियां भारत में कई वर्षो से काम कर रही हैं। उन्होंने बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर दिए हैं और भारत के दूरसंचार ढांचे के निर्माण में योगदान दिया है। चीनी कंपनियों को ट्रायल से बाहर रखना उनके वैधानिक अधिकारों और हितों को नुकसान पहुंचाएगा। इसके अलावा इससे भारतीय औद्योगिक विकास का माहौल भी बाधित होगा।
अमेरिका ने किया चीनी कंपनियों को ट्रायल से बाहर रखने का स्वागत
अमेरिका के वरिष्ठ सांसदों ने भारत द्वारा 5जी ट्रायल में चीनी कंपनियों को शामिल होने की इजाजत नहीं देने के फैसले का स्वागत किया है। चाइना टास्क फोर्स के अध्यक्ष माइकल मैक्काल ने कहा, हुआवे और जेडटीई को 5जी ट्रायल से बाहर रखने का फैसला भारत और दुनिया के लिए अच्छी खबर है। चीन के कानून के अनुसार, हुआवे और जेडटीई समेत कोई भी कंपनी कहे जाने पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के लिए काम करेगी। सांसद माइक वाल्ट्ज ने भी इस फैसले के लिए भारत को धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के तौर पर भारत चीन का मुकाबला करने और हमारी आपूर्ति श्रृंखला सुरक्षित रखने में अहम मददगार साबित होगा।