5 days of diwali तिथि की घट बढ़ से इस बार पांच दिवसीय दीपोत्सव को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। धर्मशास्त्र के जानकारों के अनुसार तिथि मतांतर से इस बार पांच दिन के पांच त्योहार संधिकाल में मनाए जाएंगे।
इस बार 22 अक्टूबर को धनतेरस रहेगी। 23 अक्टूबर को भगवान धन्वंतरि का प्राकट्योत्सव मनाया जाएगा। 24 अक्टूबर को सुबह रूपचतुर्दशी तथा शाम को प्रदोषकाल में दीपावली मनाई जाएगी। 25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण होगा। 26 अक्टूबर को सुहाग पड़वा मनाई जाएगी। 27 अक्टूबर को भाईदूज का पर्व मनेगा।
इस बार पंचांग की गणना तथा तिथियों के घटते बढ़ते क्रम से दीपोत्सव का पर्वकाल तिथियों की संधि में मनाया जाएगा। क्योंकि जब भी कोई विशेष पूजनीय तिथि होती सूर्योदय के उदयकाल से अस्तकाल तक पहली तिथि के बाद स्पर्श करती है, तो स्पर्श करने वाली दूसरी तिथि की मान्यता प्रबल हो जाती है।
22 तारीख शनिवार के दिन प्रदोष काल में धनतेरस मनाई जाएगी। 23 तारीख को भगवान धन्वंतरि का प्राकट्योत्सव मनाया जाएगा। 24 तारीख को तड़के ब्रह्म मुहूर्त में रूप चतुर्दशी तथा शाम को प्रदोष काल में दीपावली मनाई जाएगी। 25 तारीख को सुबह स्नान दाल की अमावस्या रहेगी। शाम को सूर्यग्रहण रहेगा। 26 अक्टूबर को सुहाग पड़वा पर गोवर्धन पूजा होगी। 27 अक्टूबर को भाईदूज मनाई जाएगी। दीपोत्सव के इन पांच प्रमुख त्यौहार पर मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त तथ हैं
कृष्ण पक्ष की रमा एकादशी से दीपपर्व का शुभारंभ माना जाता है। क्योंकि माता लक्ष्मी का ही एक नाम रमा है। इसलिए रमा एकादशी पर भगवान विष्णु संग माता लक्ष्मी का पूजन कर दीपपर्व का आरंभ किया जाता है। इस बार रमा एकादशी सर्वार्थसिद्धि योग के संयोग में आ रही है। इसे विशेष शुभ माना जा रहा है। क्योंकि सनातन धर्म परंपरा में अगर शुभ योग में किसी त्योहार की शुरुआत होती है, तो इसे साधना, सिद्धि तथा प्राप्त फल के लिए विशेष माना जाता है।