Afghanistan News : अफगानिस्तान में फंसे हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी के राहुल भुरारी ने दैनिक जागरण से बातचीत के दौरान वहां के हालात से अवगत करवाया। राहुल अफगानिस्तान के जलालाबाद में निजी कंपनी में सुरक्षा अधिकारी तैनात हैं।
उन्होंने बताया अफगानिस्तान में हालात दिन व दिन खराब हो रहे हैं। अराजकता का माहौल है। लोगों के पैसे, पासपोर्ट और टिकट भी चोरी हो रहे हैं। ऐसे हालात में लोग कैसे वहां से निकल सकेंगे। 20 साल पहले के तालिबानियों और अब के तालिबानियों में फर्क है।
उस समय वे विशेष वर्दी में होते थे लेकिन इस बार साधारण कपड़ों में हैं। उनकी बातचीत में भी अब कुछ नरमी है लेकिन यहां फंसा हर व्यक्ति दहशत में है।
हम अपने कैंपस में फंसे हैं। हमने कंपनी को पहले ही त्यागपत्र सौंप दिए थे। तब प्रबंधकों ने सुरक्षा की बात कहकर हमें रोक दिया, लेकिन अब उनके भी हाथ खड़े हैं। रविवार रात को भी कैंपस के बाहर फायरिंग हुई।
शर्त लगाई गई है कि हथियार जमा करवाने के बाद बस मिलेगी। अगर हम हथियार दे भी दें लेकिन उन पर भरोसा कैसे करें।
अफगानिस्तान में फंसे राहुल का छह महीने पहले परिवार में पत्नी आशा और बेटी ओजस्वी के साथ लिया गया चित्र।
कंपनी प्रबंधकों को पता था कि तालिबानी नजदीक आ रहे हैं, लेकिन कोई व्यवस्था नहीं हुई। अब हालात यह हैं कि कंपनी के प्रोजेक्टों में लगे करीब 300 भारतीय एक ही कैंपस में हैं।
अब खाना भी कम हो रहा है। पीने के लिए साफ पानी नहीं मिल रहा है। कुछ लोग बीमार भी हो रहे हैं। हमें रविवार को ड्यूटी पर भेज दिया गया, हालात खराब थे, लेकिन डरते डरते वहां पहुंचे और बाद में कंपनी प्रबंधकों से बात कर वापस कैंपस में आ गए।
शाम को फायरिंग हुई और तालिबानी हमारे कैंपस के गेट पर आए और स्थानीय व्यक्ति से बात की। स्थानीय व्यक्ति ने हमें बताया कि तालिबानियों का कहना था कि हमें उनसे कोई खतरा नहीं है।
उनकी लड़ाई सरकार से थी और अब सरकार हमारी है। जो भी हथियार हमारे पास हैं, उन्हें दो दिन में तालिबान के हवाले कर दें। हालात सामान्य होने पर सभी को भेजने की व्यवस्था की जाएगी।
भारतीय दूतावास का फोन व्यस्त, हेल्पलाइन नंबर जारी करे भारत
अमेरिका ने पहले अपने नागरिकों को निकाला उसके बाद सेना भेजी और घोषणा की। भारतीय दूतावास के हालात ऐसे हैं कि संपर्क ही नहीं हो रहा। वहां का फोन लगातार व्यस्त आ रहा है और ई-मेल का जवाब भी नहीं मिल रहा। भारत सरकार को कम से कम तीन-चार हेल्पलाइन नंबर जारी किए जाने चाहिए ताकि संकट में फंसे लोग वहां से मदद ले सकें। भारत सरकार को भी अमेरिका की तरह अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।