Agnipath Scheme: सेना में भर्ती की अग्निपथ योजना को सरकार वापस लेने के मूड में बिल्कुल नहीं है। तीनों सेनाओं की तरफ से अग्निपथ योजना को लेकर आयोजित संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये बात साफ कर दी गई कि इस योजना को वापस नहीं लिया जाएगा। सैन्य मामलों के विभाग के अतिरिक्त सचिव, लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी (Lt General Anil Puri) ने बताया कि इस योजना के बारे में 1989 से चर्चा चल रही थी और काफी सोच-विचार के बाद इसे लागू किया गया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि यह एक प्रगतिशील कदम है और भारतीय सशस्त्र बलों की इस योजना की सख्त जरूरत है, इसलिए इसको वापस लेने का सवाल नहीं खड़ा होता।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में थल सेना की ओर लेफ्टिनेंट जनरल बंसी पोनप्पा, नौसेना की तरफ से वाइस एडमिरल दिनेश त्रिपाठी और एयरफोर्स की ओर से एयर मार्शल सूरज झा शामिल हुए। इनके अलावा तीनों सेना के एचआर हेड भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद रहे। लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह सुधार लंबे समय से लंबित था। हम इस सुधार के साथ देश की तीनों सेनाओं में युवावस्था और अनुभव का अच्छा मिश्रण लाना चाहते हैं।उन्होंने तोड़फोड़ करनेवालों को भी ऐसा नहीं करने की हिदायत दी। उन्होंने कहा कि हमारे साथ जो अग्निवीर में जुड़ना चाहता है वो लिखित में प्रतिज्ञा लेगा कि उसने किसी प्रदर्शन या तोड़फोड़ में हिस्सा नहीं लिया। फौज में पुलिस वेरिफिकेशन के बिना कोई नहीं आ सकता। इसलिए प्रदर्शन कर रहे छात्रों से अनुरोध है कि अपना समय खराब न करें।
उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि पहले इस योजना के बारे में विस्तार से जान लें। उन्होंने कहा जो इसकी डीटेल्स जानना चाहते हैं वो आर्मी के भर्ती केन्द्रों में जाएं। आर्मी के 84 भर्ती केंद्र हैं, हमारी यूनिट के 350 केंद्र हैं। वहां युवाओं को जाकर कहना है कि हमें ‘अग्निपथ’ के बारे में बताएं। आप वीडियो देखें आपको पता चलेगा कि कश्मीर में युवाओं को कैंप में ट्रेनिंग तक दी जाती है। लेफ्टिनेंट जनरल अरुण पुरी ने कहा कि अगले 4-5 वर्षों में, हम 50-60,000 तक भर्तियां करेंगे और बाद में यह बढ़कर 1,25,000 तक हो जाएगा। भविष्य में तीनों सेनाओं में अफसर रैंक के नीचे की सभी भर्तियां ‘अग्निपथ योजना’ के जरिए ही होंगी।