अहोई अष्टमी पूजा विधि
सुबह दैनिक क्रियाओं से निवृत होने के बाद स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा करके अपनी संतान के दीर्घायु और सुखी जीवन के लिए व्रत का संकल्प करें। अहोई माता से प्रार्थना करें कि वे आपकी संतान को निरोगी और सुखी जीवन प्रदान करें। अब माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करें। फिर पूजा घर में दिवार पर अहोई माता की तस्वीर बनाएं और उनके पास स्याहु और उसके 7 बेटों का चित्र बनाएं। फिर उनके समक्ष एक लोटे में पानी और करवा चौथ के दिन इस्तेमाल हुए करवे में पानी को लोटे पर रख दें।
अब अहोई अष्टमी व्रत की कथा सुनें या पढ़ें। फिर शाम के समय भी अहोई माता की पूजा करें। कथा श्रवण के समय हाथ में लिए गए अक्षत को अपनी साड़ी के पल्लू में बांध लें। फिर माता को पुए और पूरी का भोग लगाएं। शाम के समय तारों या चंद्रमा को अक्षत मिले हुए लोटे के पानी से अर्ध्य दें। फिर पूजा में माता को अर्पित किए गए सामान किसी ब्राह्मण को दान कर दें। अहोई माता की तस्वीर को दिवाली तक बने रहने दें। करवे के पानी को दिवाली पर पूरे घर में छिड़क दें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि संतान विहीन महिलाएं अहोई अष्टमी का प्रसाद खाती हैं तो उनको अहोई माता की कृपा से संतान की प्राप्ति होती है।