Astrology: उज्जैन। पंचांग गणना के अनुसार दो जून को मंगल अपने दो उपग्रह डैमास व फैवोस के साथ मिथुन राशि को छोड़कर कर्क राशि में प्रवेश करेगा। यहां से मंगल अपनी चौथी दृष्टि से तुला, सातवीं दृष्टि से मकर राशि स्थित शनि तथा आठवीं दृष्टि से कुंभ राशि स्थित बृहस्पति को देखगा। एक माह के परिभ्रमण काल में अन्य ग्रहों से दृष्टि संबंध के चलते अलग-अलग परिस्थितयां दिखाई देंगी। ज्योतिषियों के अनुसार उज्जैन के लिए यह समय विशेष रहेगा, क्योंकि मंगल गृह की जन्म स्थली उज्जयिनी से होकर कर्क रेखा गुजरती है। कर्क राशि स्थित मंगल इस भूमि पर विशेष प्रभाव दिखाएगा।
नवग्रहों में तीसरे नबर पर आने वाला मंगल अपनी रक्तिम आभा के साथ ग्रह मंडल में विद्यमान है। राशि मंडल में मंगल ग्रह का परिभ्रमण मार्गी और कभी-कभी वक्री होकर चलता है। ग्रह गोचर की गणना से देखें तो मंगल का मिथुन राशि छोड़कर कर्क राशि में प्रवेश होगा।
कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा है यह जलचर राशि है, इस राशि में प्रवेश करते ही अलग-अलग स्थिति निर्मित होगी। इनमें सर्वप्रथम प्राकृतिक व मौसम में परिवर्तन का क्रम दिखाई देगा। अर्थात दक्षिण पश्चिम से जुड़े राज्यों में बारिश की स्थिति आरंभ होकर मूल क्रम में दिखाई देगी। क्योंकि मंगल का चंद्रमा की राशि में एक माह परिभ्रमण रहेगा। इस दृष्टि से दक्षिण पश्चिम से जुड़े राज्यों में जून से जुलाई माह में मानसून प्रबल दिखाई देगा।
शनि से प्रति व पांच गुरुवारों का मासिक योग
कर्क राशि स्थित मंगल का मकर राशि स्थित शनि से प्रति योग बनेगा। कुछ परिस्थितियों में इसे समसप्तक योग दृष्टि संबंध भी कहा जाता है। शास्त्रीय गणना से देखें तो मंगल शनि के सम सप्तक योग से समुद्री तूफान, प्रकृति प्रकोप तथा कट्टरपंथी राष्ट्रों के मध्य आपसी विवाद की स्थिति बनती है। हालांकि भारत के लिए इसका प्रभाव अलग रहेगा। क्योंकि ज्येष्ठ मास का आरंभ गुरुवार का होना तथा गुरुवार के दिन ही अमावस्या तथा पूर्णिमा का होना उत्तरोत्तर श्रेष्ठ माने जाते हैं।
श्रेष्ठ मानसून की स्थिति
मैदिनि ज्योतिषशास्त्र की गणना में राशि वार तथा ग्रहों के परिभ्रमण से उसका होने वाला प्रभाव दर्शाया गया है। जलचर राशि में मंगल का प्रवेश प्रकृति में श्रेष्ठ वर्षा ऋतु का होना दर्शाता है। इस दृष्टि से समय पर मानसून की आमद होगी तथा वर्षा ऋतु में उत्तम वृष्टि होने की संभावना बनेगी।