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Bank Union Strike Bank निजीकरण के विरोध में देशभर के बैंक फिर करेंगे हड़ताल

Bank Union Strike Bank निजीकरण के विरोध में देशभर के बैंक फिर करेंगे हड़ताल

Bank Union Strike: बैंक ग्राहकों के लिए काम की खबर है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण (Bank Privatisation) के विरोध में देशभर के बैंक फिर हड़ताल (Bank Strike) पर जाएंगे. अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (AIBEA) की केंद्रीय कमेटी ने इस हड़ताल में शामिल होने का निर्णय लिया है. देश के सरकारी बैंक के कर्मचारी 23 और 24 फरवरी को दो दिन की बैंक हड़ताल करेंगे. बैंकों के प्राइवेटाइजेशन के विरोध में ये हड़ताल किया जा रहा है. आपको बता दें कि प्राइवेट बैंक भी बंद रहेंगे.

गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2021 को पेश किए अपने बजट में दो बैंकों के प्राइवेटाइजेशन का ऐलान किया था. जिसके बाद सरकार ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है. बताया जा रहा है कि सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक (Banking Laws (Amendment) Bill 2021) लाने की तैयारी में है.

23 और 24 फरवरी को बैंक हड़ताल

बैंकों के निजीकरण को लेकर यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (UFBU) ने हड़ताल का ऐलान किया है. यह नौ सरकारी बैंकों के यूनियन का संयुक्त मंच है. UFBU ने 23 और 24 फरवरी को हड़ताल कर रहे हैं. इससे पहले यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने दो सरकारी बैंकों के निजीकरण के विरोध में 15 और 16 मार्च 2021 को हड़हाल की थी. इसके बाद 16 और 17 दिसंबर 2021 को बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2021 के विरोध में हड़ताल की गई थी.

क्या है हड़ताल की वजह

गौरतलब है कि ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (एआईबीओसी) ने सरकारी बैंकों के निजीकरण के खिलाफ आंदोलन की घोषणा की थी. सरकार की ओर से विनिवेश पर गठित की गई सचिवों के मुख्य समूह ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और बैंक ऑफ इंडिया के नाम सुझाए थे.

निजीकरण के बाद कर्मचारियों का क्या होगा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्राइवेटाइजेशन से पहले ये बैंक अपने कर्मचारियों के लिए आकर्षक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) ले सकते हैं. यानी कर्मचारियों के  लिए भी यह एक चिंता का विषय है.

वित्त मंत्री ने दिया बयान

लोकसभा में वित्त मंत्री ने कहा था कि  2021-22 के बजट में वर्ष के दौरान दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) के प्राइवेटाइजेशन और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के रणनीतिक विनिवेश की नीति को मंजूरी देने की थी. विनिवेश से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विचार, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ, बैंक का चयन शामिल है, इस उद्देश्य के लिए नामित कैबिनेट समिति को सौंपा गया है. इस संबंध में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के लिए संबंधित कैबिनेट कमिटी द्वारा फैसला नहीं लिया गया है.

इससे पहले IDBI बैंक हो चुकी है प्राइवेट

आपको बता दें कि साल 1960 में IDBI बैंक डेवलपमेंट फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन के नाम से शुरू हुआ था. बाद में इसे IDBI Bank बैंक में तब्दील कर दिया गया. इसके लिए संसद की ओर से इजाजत दी गई. देश के जितने भी राष्ट्रीयकृत बैंक हैं, उनका सारा काम संसदीय कानूनों के जरिये नियंत्रित होता है. ये बैंक जैसे ही प्राइवेट होते हैं, संसद की बाध्यता खत्म हो जाती है.

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