प्रदेश में फिलहाल 10वीं और 12वीं की ही नियमित कक्षाएं संचालित की जाएंगी। जबकि कक्षा 9वीं और 11वीं की कक्षाएं नियमित लगाने के संबंध में निर्णय संबंधित स्कूल लेंगे। यह निर्णय सोमवार को स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार की अध्यक्षता में हुई स्कूल शिक्षा विभाग की बैठक में लिया गया है। इसी तरह पहली से कक्षा आठवीं तक की कक्षाएं फिलहाल ऑनलाइन ही संचालित की जाएंगी। निजी स्कूल अपने स्तर पर इन कक्षाओं की परीक्षा ऑनलाइन माध्यम से ले सकेंगे। जबकि सरकारी स्कूलों में प्रोजेक्ट जमा करवा कर विद्यार्थियों के अंकों का मूल्यांकन किया जाएगा। हालांकि इस शैक्षणिक सत्र में किन कक्षाओं का संचालित किया जाना है इस पर अंतिम निर्णय मंगलवार को इस संबंध में कार्यक्रम जारी किया जा सकता है।
दरअसल मंत्री परमार ने विभागीय समीक्षा के दौरान स्कूल खोले जाने पर अधिकारियों से चर्चा की। चर्चा में सामने आया कि कक्षा 10वीं और 12वीं में बोर्ड परीक्षा होने से नियमित कक्षाएं लगाना अनिवार्य होगा। ऑनलाइन माध्यम से बोर्ड परीक्षा होना संभव नहीं है। इसका सिलेबस भी भौतिक कक्षाएं लगाकर ही पूरा किया जा सकता है। कक्षाएं लगाने के दौरान स्कूल संचालकों को कोरोना से बचने की गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य होगा। जबकि कक्षा 9वीं और 11वीं संचालित करने की व्यवस्था स्कूल संचालकों के पास है तो वे इसके लिए स्वतंत्र रहेंगे।
कई राज्यों में हो रहे हैं संचालित
देश के कई राज्यों में स्कूल-कॉलेज संचालित होना शुरू हो गए हैं। लेकिन प्रदेश में अब भी इन्हें खोले जाने पर कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। प्रदेश के भी निजी स्कूल-कॉलेज संचालकों ने मांग की है कि जल्द से जल्द स्कूल-कॉलेज खोलने की अनुमति दी जाए। वे पिछले करीब आठ महीने से उनके संस्थान बंद होने के बावजूद स्टाफ को वेतन दे रहे हैं। लेकिन अब वे बिना स्कूल-कॉलेज खोले वेतन नहीं दे सकते हैं
इनका कहना है
10वीं और 12वीं कक्षा बोर्ड परीक्षा होने की वजह से लगाना अनिवार्य होगा। 9वीं और 11वीं कक्षा लगाने की व्यवस्था यदि स्कूल में हैं तो इसके लिए वे स्वतंत्र हैं। पहली से आठवीं कक्षा फिलहाल ऑनलाइन ही संचालित होगी। मंगलवार को इस संबंध में विस्तृत कार्यक्रम जारी कर दिया जाएगा।
इंदर सिंह परमार, मंत्री स्कूल शिक्षा विभाग