MP में हाउसिंग कॉलोनी निर्माण के लिए प्राइवेट कंपनी से जमीन खरीदने से जुड़े सबसे चर्चित विवाद का आखिर 21 साल बाद अंत हो गया है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कटनी शहर में 59 एकड़ जमीन खरीदी में कथित भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच की मांग वाली दोनों जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया है। यह याचिकाएं 2003 से लंबित थी।
कटनी में अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए हाउसिंग बोर्ड ने वर्ष 2002 में कोलकाता की ओलफर्ट कंपनी से 59 एकड़ जमीन 6 करोड़ रुपए में खरीदी थी। हाउसिंग बोर्ड के कमिश्नर आईएएस राघव चंद्रा थे। जमीन कलेक्टाेरेट गाइडलाइन से अधिक कीमत पर खरीदी गई थी।
चंद्रा पर कंपनी को फायदा पहुंचाने का आरोप लगा था। शिकायत के दिन ही एफआईआर हो गई थी। 2005 से 2015 तक मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहने से हाईकोर्ट में लंबित बना रहा। पहली लोकायुक्त जांच में नतीजा नहीं निकलने पर कोर्ट के आदेश पर दोबारा जांच की गई थी।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में पाया है कि 20 साल के दरम्यान पूरे मामले की ईओडब्ल्यू द्वारा की गई जांच में कोई भी गड़बड़ी नहीं पाई गई है। लोकायुक्त भी पूरे मामले की दो बार जांच कर चुका है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार का सेंट्रल विजिलेंस कमीशन भी अपने स्तर पर इसकी जांच करा चुका है। इनमेंे ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है जिसके आधार पर सीबीआई जांच कराई जाए
षड्यंत्र रचा
चंद्रा-राघव चंद्रा का कहना है कि इस मामले में जमीन माफिया शामिल थे, जिन्होंने सरकारी प्रोजेक्ट को रोकने के लिए षड्यंत्र रचा था।