कृषि बिलों की वजह से एनडीए में फूट पड़ गई है। शिरोमणि अकाली दल एनडीए से अलग हो गया है। 9 दिन पहले हरसिमरत कौर ने मोदी सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा दिया था। अकाली दल ने लोकसभा और राज्यसभा में इन बिलों का विरोध किया। भाजपा और अकाली दल पिछले 22 साल से साथ थे।
कृषि बिलों का विरोध सबसे ज्यादा पंजाब और हरियाणा में हो रहा है। यहां किसान पिछले 20 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। पंजाब के सभी जिलों में किसान सड़क और रेल रोको आंदोलन कर रहे हैं। कांग्रेस, अकाली दल, आप, लोक इंसाफ पार्टी और बसपा का इनको समर्थन मिल रहा है।
अकाली दल पर क्या दबाव था
- पार्टी में फूट से जूझ रहे अकाली दल के लिए मोदी सरकार के कृषि विधेयक गले की फांस बन गए थे, क्योंकि पार्टी को लग रहा था कि अगर वह इनके लिए हामी भरती तो पंजाब के बड़े वोट बैंक यानी किसानों से उसे हाथ धोना पड़ता।
- पंजाब के कृषि प्रधान क्षेत्र मालवा में अकाली दल की पकड़ है। अकाली दल को 2022 के विधानसभा चुनाव दिखाई दे रहे हैं। 2017 से पहले अकाली दल की राज्य में लगातार दो बार सरकार रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव में 117 सीटों में से अकाली दल को महज 15 सीटें मिली थीं। ऐसे में 2022 के चुनाव से पहले अकाली दल किसानों के एक बड़े वोट बैंक को अपने खिलाफ नहीं करना चाहता।
इन 3 विधेयकों का विरोध हो रहा
- फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फेसिलिटेशन) बिल।
- फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज बिल।
- एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) बिल।
1998 से अकाली दल एनडीए में था
1998 में जब लालकृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी ने एनडीए बनाने का फैसला किया था, तो उस वक्त जॉर्ज फर्नांडीज की समता पार्टी, जयललिता की अन्नाद्रमुक, प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाला अकाली दल और बाला साहेब ठाकरे की शिवसेना ने इसे सबसे पहले ज्वॉइन किया था। समता पार्टी का बाद में नाम बदलकर जदयू हो गया। जदयू द्रमुक एनडीए से एक बार अलग होकर वापसी कर चुकी है। शिवसेना अब कांग्रेस के साथ है। अकाली दल ही ऐसी पार्टी थी, जिसने अब तक एनडीए का साथ नहीं छोड़ा था।
हरसिमरत कौर ने 17 सितंबर को इस्तीफा दिया था
अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने मोदी मंत्रिमंडल से 17 सितंबर को इस्तीफा दिया था। वे फूड प्रोसेसिंग मिनिस्टर थीं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 18 सितंबर को इस्तीफा मंजूर किया था। इसके बाद इस मंत्रालय का प्रभार कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को सौंपा गया है।
अकाली दल के अलग होने एनडीए को फर्क पड़ेगा?
अकाली दल के लोकसभा में दो सांसद हैं। वहीं, राज्यसभा में तीन सांसद हैं। जानकारों का कहना है कि इससे दोनों सदनों में एनडीए की स्ट्रेंथ में कोई फर्क नहीं पड़ेगा। दरअसल, यह बेहद सोची समझी रणनीति के तहत कदम उठाया गया है। पंजाब में भाजपा का ज्यादा वोट बैंक नहीं है। इससे नुकसान की संभावना भी कम है। उधर, कृषि बिलों से अकाली दल को नुकसान होता दिख रहा था। पिछले चुनाव में पार्टी को आप की वजह से बहुत नुकसान हुआ था। पार्टी सीटों के मामले में तीन पर आ गई थी।
पंजाब: 2017 के विधानसभा चुनाव में दलों की स्थिति
कुल सीटें: 117
पार्टी | सीटें | वोट (%) |
कांग्रेस | 77 | 38.8 |
आप | 20 | 23.9 |
अकाली दल | 15 | 25.4 |
भाजपा | 3 | 5.4 |
एलआईपी | 2 | 1.2 |