CBSE EXAM NEWS दसवीं और बारहवीं के पेपरों में बार बार आ रही गलतियों को देखते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) सतर्क हो गया है। बोर्ड ने भविष्य में ऐसी गलती नहीं हो इसके लिए एक समिति का गठन किया है।
ये समिति प्रश्न पत्र तैयार करने की प्रक्रिया की गहन समीक्षा और उसमें सुधार करने के लिए बनाई गई है। बोर्ड ने यह फैसला 10वीं और 12वीं की पहले टर्म की परीक्षाओं के प्रश्न पत्रों में बार बार मिल रही गलतियों को देखते हुए लिया है। सीबीएसई के प्रश्न पत्रों में इस माह कम से कम तीन गलतियां सामने आई हैं, जिनमें से महिलाओं को लेकर विवादास्पद संदर्भ से जुड़ी थी और इस पर सोमवार को संसद में काफी हंगामा भी हुआ था।
दरअसल, शनिवार को कक्षा दसवीं के अंग्रेजी के प्रश्न पत्र में महिलाओं की मुक्ति ने बच्चों पर माता-पिता के अधिकार को समाप्त कर दिया और अपने पति के तौर-तरीके को स्वीकार करके ही एक मां अपने से छोटों से सम्मान पा सकती है। जैसे वाक्यों का इस्तेमाल किया गया था, जिसको लेकर विवाद खड़ा हो गया। इसे लेकर सोशल मीडिया पर भी सीबीएसई और सरकार की जमकर आलोचना हुई थी। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, सोनिया गांधी और दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने प्रश्न पत्र में इस तरह के सवाल को लेकर सरकार को घेरा था।
प्रश्न पत्र बनाने के लिए दस साल का अनुभव है जरूरी
10 वीं और 12 वीं के प्रश्न पत्र बनाने वालों की पहचान बोर्ड गोपनीय रखता हैं। परीक्षा संबंधी नियमों के मद्देनजर सभी पेपर-सेटर, मॉडरेटर, गोपनीयता अधिकारी, मुख्य परीक्षक और परीक्षक सीबीएसई अध्यक्ष की तरफ से नियुक्त किए जाते हैं।
बोर्ड के नियम के अनुसार, कोई भी ऐसा व्यक्ति उस साल का पेपर सेट नहीं कर सकता है, जब उनके निकट संबंधी बोर्ड परीक्षा में हिस्सा ले रहे हो। पेपर प्रश्न पत्र बनाने वाले के पास प्रासंगिक विषय या संबद्ध विषय में स्नातकोत्तर डिग्री होना आवश्यक है। जबकि उसके पास संबंधित विषय को पढ़ाने का कम से कम 10 साल का अनुभव भी होना चाहिए।
संबंधित व्यक्ति को किसी निजी संस्थान में ट्यूशन या कोचिंग पढ़ाने से जुड़ा नहीं होना चाहिए और इस तरह की किसी अन्य गतिविधि का हिस्सा भी नहीं होना चाहिए।
बोर्ड नियमों के तहत यह भी अनिवार्य है कि पेपर-सेटर यह सुनिश्चित करे कि प्रश्न पत्र विषय के पाठ्यक्रम, ब्लूप्रिंट, डिजाइन और पाठ्य पुस्तकों और रिकमंड की गई किताबों पर ही आधारित हो।
पेपर बनाने वालों से यह भी अपेक्षा की जाती है कि कोई भी प्रश्न गलत तरीके से या अस्पष्ट तरीके से नहीं लिखा हो जिससे पढ़ने वाला उसका कोई और गलत मतलब निकाले।