Charak Ki Shapath लखनऊ के केजीएमयू के छात्रों को जल्द ही चरक शपथ दिलाई जाएगी वर्षों से चली आ रही डॉक्टरों के शपथ लेने की प्रक्रिया में जल्द ही बड़ा बदलाव होने जा रहा है। आमतौर पर भावी चिकित्सकों को रोगियों के इलाज के लिए हिपोक्रेटिक शपथ दिलाई जाती है, लेकिन अब इसकी जगह पर डॉक्टरों को चरक शपथ दिलाई जा सकती है।
भारत के शीर्ष चिकित्सा शिक्षा नियामक, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने सुझाव दिया है कि डॉक्टरों के स्नातक समारोह के दौरान उन्हें हिपोक्रेटिक शपथ की जगह ‘चरक शपथ’ दिलाई जाए।
Charak Ki Shapath
असल में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद जब डॉक्टर्स मरीजों की सेवा के लिए योग्य हो जाते हैं तो उनमें सेवा भाव बनाए रखने के लिए शपथ दिलाने की परंपरा है। शपथ दिलाने का उद्देश्य डॉक्टरों को खुद से पहले मरीज के बारे में सोचने और उनकी सेवा करने की भावना विकसित कराना होता है। आइए जानते हैं कि चरक शपथ की सिफारिश क्यों की जा रही है, साथ ही हिपोक्रेटिक शपथ और हिपोक्रेटिक शपथ में क्या अंतर है?
Charak Ki Shapath हिपोक्रेटिक शपथ क्या है?
मेडिकल विशेषज्ञ बताते हैं, मेडिकल में स्नातक की पढ़ाई पूरी कर लेने के बाद व्हाइट कोट सेरेमनी की परंपरा है। इसे ग्रेजुएशन सेरेमनी भी कहा जाता है। इस सेरेमनी में छात्रों को स्नातक की डिग्री प्रदान की जाती है। इसी कार्यक्रम के दौरान हिपोक्रेटिक शपथ दिलाई जाती है। इसमें शपथ दिलाई जाती है कि वह अपने पद का दुरुपयोग नहीं करेंगे और मरीजों का सेवा करने को अपना धर्म मानेंगे। शपथ की यह प्रक्रिया डॉक्टरों को उनके कर्तव्य और जिम्मेदारी के प्रति बाध्य करती है।
Charak Ki Shapath अब चरक शपथ में क्या होगा?
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की वर्चुअल बैठक में चरक शपथ दिलाने को लेकर सुझाव दिया गया है। चरक संहिता आचार्य चरक के सिद्धांतों पर आधारित है। आयुर्वेद विशारद आचार्य चरक की स्वास्थ्य को लेकर कुछ अवधारणाएं हैं। चरक-शपथ के मुताबिक- ना अपने लिए और ना ही दुनिया में मौजूद किसी वस्तु या फायदे को पाने के लिए, बल्कि सिर्फ इंसानियत की पीड़ा को खत्म करने के लिए मैं अपने मरीजों का इलाज करूंगा। हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लखनऊ के केजीएमयू के छात्रों को जल्द ही चरक शपथ दिलाई जाएगी।