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ढाई किलोमीटर पीछे हटा था चीन तो फिर कैसे हुआ हमला, सामने आया ड्रैगन का ढोंग

लद्दाख की गलवां घाटी में 20 भारतीय जवानों की शहादत से चीन का ढोंग दुनिया के सामने आ गया है।

एलएसी पर सोमवार रात को हुई हिंसक झड़प में हालांकि चीन को भी काफी नुकसान हुआ है और उनके 47 जवान या तो मारे गए हैं या फिर बुरी तरह से घायल हैं।

रिटायर्ड कर्नल, दानवीर सिंह कहते हैं कि चीन के बारे में कहा गया था कि वह ढाई किलोमीटर पीछे हट गया है।

मगर इस घटना ने साबित कर दिया कि वह पीछे नहीं हटा था। उसका ढोंग पूरी दुनिया के सामने आ गया है। यह एक ऐसी सीमा है, जहां पर दोनों देश अपने अनुभव से काम करते हैं।

यदि चीन गोली की भाषा समझता है, तो उसका जवाब गोली से ही देना चाहिए।

बातचीत की पोल खुली
दानवीर सिंह के अनुसार, इस घटना ने दोनों देशों के बीच चल रही बातचीत की पोल खोलकर रख दी है। सरकार का दावा था कि भारत चीन की सेनाएं अपने अपने क्षेत्र में पीछे चली गई हैं। देश की जनता अब सवाल पूछेगी कि ये कैसे हो गया। जब शहीदों के शव आएंगे तो सेना और लोगों की भावनाएं सरकार के सामने कई सवाल खड़े करेंगी।

सरकार ने अभी तक यह नहीं बताया था कि दोनों देश के बीच आखिर क्या बातचीत हुई है। दानवीर सिंह पूछते हैं कि क्या देश को जानबूझकर गुमराह किया जा रहा है? सरकार को अपनी स्थिति साफ करनी होगी। ऐसा कौन सा दबाव है, जिससे सरकार कुछ साफ नहीं बता पा रही है। दुनिया को दिखाने के लिए चीन तो अब ये कहेगा कि भारत ने यह अच्छा नहीं किया है।

हमने तो अपनी आत्मरक्षा में कार्रवाई की है। जीजे सिंह, कमोडोर रिटायर्ड रक्षा विशेषज्ञ के अनुसार, 2003 और 2013 से पहले जो समझौते हुए हैं, चीन उन्हें नहीं मान रहा है। वह नियमों के खिलाफ बॉर्डर पर इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करता रहा है।

अब भारत ने जब अपनी सीमा में इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम शुरू किया तो चीन एतराज करने लगता है।

हम अपने क्षेत्र में काम कर रहे हैं, लेकिन वह अपनी जिद पर अड़ा रहता है। वे सीमा रेखा को अपने मुताबिक मानने का प्रयास करते हैं।

चीन यह सोचकर सीमा पर गतिरोध पैदा करता है कि हम उसकी बराबरी कर रहे हैं। इस बार भारत को जवाब देना होगा। केंद्र सरकार को सेना के मनोबल का भी ख्याल रखना है।

 

 

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