भोपाल । मध्यप्रदेश भाजपा में तीन माह से सिर्फ पांच महामंत्री हैं। प्रदेश कार्यकारिणी का विस्तार प्रस्तावित है लेकिन अभी तक इसे अंतिम रूप नहीं मिल पाया है। कार्यकारिणी से लेकर निगम-मंडल तक नियुक्तियों को लेकर असमंजस की स्थिति है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद एक बार फिर मंत्रिमंडल विस्तार, निगम-मंडल में नियुक्तियों के साथ कार्यकारिणी के गठन की सुगबुगाहट शुरू हो गई है।
माना जा रहा है कि नियुक्तियों के माध्यम से भाजपा संतुलन बनाने की रणनीति पर जोर दे रही है। मंत्री नहीं बन पाने वाले पूर्व मंत्रियों को निगम-मंडलों में समायोजित किया जा सकता है तो कार्यकारिणी में क्षेत्रीय समीकरणों को देखते हुए स्थान तय किए जाएंगे। इसको लेकर जल्द ही मुख्यमंत्री, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत की बैठक हो सकती है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा की कार्यकारिणी में दो सितंबर को पांच महामंत्री (भगवानदास सबनानी, शरदेंदु तिवारी, हरिशंकर खटीक, रणवीर सिंह रावत और कविता पाटीदार) नियुक्त किए गए थे। उपचुनाव की वजह से कार्यकारिणी का विस्तार टलता रहा है। इस बीच केंद्रीय संगठन से भी इसको लेकर विचार-विमर्श हुआ पर अंतिम सहमति अब तक नहीं बन पाई है।
उधर, विधानसभा उपचुनाव के बाद से ही मंत्रिमंडल विस्तार के साथ निगम-मंडल में नियुक्तियों को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। पिछले दिनों भाजपा के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बैठक हो चुकी है। मंगलवार को मुख्यमंत्री ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार 28 दिसंबर से प्रस्तावित विधानसभा के शीतकालीन सत्र को मद्देनजर रखते हुए जल्द किया जा सकता है।
इसके साथ-साथ निगम-मंडल में नियुक्तियां भी की जाएंगी। संगठन पदाधिकारियों का कहना है कि इनमें उन नेताओं को समायोजित किया जाएगा, जो मंडिमंडल का हिस्सा बनने के दावेदार तो हैं पर सियासी समीकरण बाधक बन रहे हैं। वर्तमान मंत्रिमंडल में विंध्य और महाकोशल का प्रतिनिधित्व कम है। इसको लेकर गाहे-बगाहे आवाज भी उठती रही है पर मौजूदा परिस्थितियों में निगम-मंडल ही रास्ता नजर आ रहा है। वहीं, प्रदेश कार्यकारिणी में भी क्षेत्रीय समीकरणों को देखते हुए स्थान तय होंगे।
यह भी एक संयोग है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुरुआत में पांच मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्रा, तुलसीराम सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, कमल पटेल और मीना सिंह) ही बनाए थे। वे इनके साथ तीन माह सरकार चलाते रहे थे। बाद में मंत्रिमंडल का विस्तार किया था। उपचुनाव के दौरान सिलावट और राजपूत ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। दोनों ने उपचुनाव में प्रतिद्वंद्वियों से बड़े अंतर से जीत हासिल की है।
इनका कहना है
उपचुनाव और कोरोना काल के कारण सरकार और संगठन की गतिविधियां, नियुक्तियां और विस्तार प्रभावित हुए हैं। अब तेजी के साथ इन तीनों मामलों में सरकार और संगठन आगे बढ़ रहे हैं। भाजपा में सामूहिक निर्णय करने की परंपरा है। उसी आधार पर निर्णय होगा।
रजनीश अग्रवाल, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा