Congress President Election कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिए सोमवार सुबह दस बजे से वोटिंग शुरू हो जाएगी। चार बजे तक वोटिंग का समय निर्धारित किया गया है। देश भर में 40 केंद्रों पर इसके लिए 68 बूथ बनाए गए हैं। करीब 9800 मतदाता इसमें हिस्सा लेंगे जो अलग-अलग प्रदेशों के प्रतिनिधि हैं।
सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, प्रियंका गांधी समेत अन्य सीडब्ल्यूसी के सदस्य कांग्रेस मुख्यालय में बने बूथ में मतदान करेंगे। एक बूथ भारत जोड़ो यात्रा के कैंप में भी बनाया गया है, जहां राहुल गांधी और करीब 40 मतदाता मतदान करेंगे। मल्लिकार्जुन बेंगलुरु और शशि थरूर तिरुवनंतपुरम स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मतदान करेंगे।
कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव होना है। इसके लिए सारी तैयारियां हो चुकी हैं। कांग्रेस के 9800 से ज्यादा मतदाता मल्लिकार्जुन खरगे या शशि थरूर में से किसी एक का चुनाव करेंगे। हालांकि, चुनाव की प्रक्रिया पर अब सवाल भी खड़े होने लगे हैं। ये सवाल खुद अध्यक्ष पद के उम्मीदवार शशि थरूर ने खड़े किए हैं। थरूर ने आरोप लगाया है कि मल्लिकार्जुन खरगे से कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता आसानी से मुलाकात करते हैं। उनका स्वागत करते हैं, लेकिन ऐसा थरूर के साथ नहीं होता है। थरूर से मुलाकात करने में कांग्रेस के नेता हिचकते हैं।
2. कांग्रेस में अंदरूनी उठापटक का फायदा
कांग्रेस में बदलाव चाहने वाले युवाओं के बीच थरूर की लोकप्रियता पहले से ज्यादा है। कुछ राज्यों में भले ही कांग्रेस नेताओं ने खुलकर थरूर का समर्थन नहीं किया है, लेकिन अंदर तौर पर वह जरूर चाहते हैं कि पार्टी में बदलाव हो। ऐसे में पार्टी के अंदर बदलाव चाहने वाले नेता जरूर थरूर का साथ दे सकते हैं। थरूर भी ऐसी ही उम्मीद लगाकर बैठे हैं।
3. देशभर में जबरदस्त फैन फॉलोइंग
शशि थरूर के पास भले ही मल्लिकाअर्जुन खरगे जितना संगठन का अनुभव न हो, लेकिन आम लोगों में थरूर खरगे से ज्यादा लोकप्रिय चेहरा हैं। शशि थरूर एक पैन इंडिया पॉपुलर नेता हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर थरूर की फॉलोइंग कांग्रेस के अधिकतर नेताओं से ज्यादा ही रही है।
4. चपलता-तर्कशीलता और बोलने में ज्यादा प्रभावी थरूर
बेहतरीन अंग्रेजी, ठीक-ठाक हिंदी और कई अन्य भाषाओं में महारत होने की वजह से वे युवाओं के बीच अलग अपील लेकर पेश होते हैं। सोशल मीडिया पर उनकी तर्कशीलता को लेकर एक बड़ा तबका उनका फैन है। खासकर विदेश मामलों में भारत का पक्ष रखने को लेकर लोग उन्हें सुनना पसंद करते हैं।
5. कांग्रेस में बदलाव, विपक्ष को झटका देने में सक्षम
बीते कुछ वर्षों में शशि थरूर (67) की छवि युवा नेता के तौर पर बनी है। वे पुरानी कांग्रेस में उस जरूरी बदलाव के तौर पर दिखते हैं, जो कि लंबे समय से नए चेहरों की तलाश में है, ताकि जनता के बीच पार्टी अपना नया परिप्रेक्ष्य पैदा कर सके। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के मुकाबले थरूर यह ज्यादा आसानी से करने में सक्षम हैं। वे भारत की पढ़ी-लिखी जनता के बीच भी ज्यादा लोकप्रिय हैं, जो कि अधिकतर मध्यमवर्ग से है और 2014 के बाद से ही भाजपा के साथ जुड़ी है।
खरगे की दावेदारी कितनी मजबूत?
1. पार्टी का समर्थन, वरिष्ठ नेताओं का भी मिला साथ : थरूर के मुकाबले मल्लिकार्जुन खरगे के साथ ज्यादा कांग्रेसी नेता खड़े दिखाई दे रहे हैं। खासतौर पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का साथ खरगे को मिला हुआ है। कहा जाता है कि खरगे को पार्टी की तरफ से पूरा समर्थन दिया गया है। गांधी परिवार भी खरगे को ही अध्यक्ष बनाना चाहता है।
2. दक्षिण से नाता, जमीन से जुड़े नेता रहे: खरगे का जन्म कर्नाटक के बीदर जिले के वारावत्ती इलाके में एक किसान परिवार में हुआ था। गुलबर्गा के नूतन विद्यालय से उन्होंने स्कूली शिक्षा पूरी की और फिर यहां सरकारी कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली। यहां वह स्टूडेंट यूनियन के महासचिव भी रहे। गुलबर्गा के ही सेठ शंकरलाल लाहोटी लॉ कॉलेज से एलएलबी करने के बाद वकालत करने लगे। 1969 में वह एमकेएस मील्स कर्मचारी संघ के विधिक सलाहकार बन गए। तब उन्होंने मजदूरों के लिए लड़ाई लड़ी। वह संयुक्त मजदूर संघ के प्रभावशाली नेता रहे।
1969 में ही वह कांग्रेस में शामिल हो गए। पार्टी ने उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें गुलबर्गा कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बना दिया। 1972 में पहली बार कर्नाटक की गुरमीतकल विधानसभा सीट से विधायक बने। खरगे गुरमीतकल सीट से नौ बार विधायक चुने गए। इस दौरान उन्होंने विभिन्न विभागों में मंत्री का पद भी संभाला। 2005 में उन्हें कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। 2008 तक वह इस पद पर बने रहे। 2009 में पहली बार सांसद चुने गए।
खरगे गांधी परिवार के भरोसेमंद माने जाते हैं। इसका समय-समय पर उनको इनाम भी मिला। साल 2014 में खरगे को लोकसभा में पार्टी का नेता बनाया गया। लोकसभा चुनाव 2019 में हार के बाद भी कांग्रेस पार्टी ने उन्हें 2020 में राज्यसभा भेज दिया। पिछले साल गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल खत्म हुआ तो खरगे को राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया।
3. विपक्ष के नेताओं से अच्छे संबंध : मल्लिकार्जुन खरगे गांधी परिवार के करीबी तो हैं हीं, विपक्ष के अन्य नेताओं से भी उनके अच्छे संबंध हैं। खरगे का राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अध्यक्ष शरद पवार और माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी जैसे विपक्ष के नेताओं के साथ अच्छे संबंध हैं।