Corona Vaccine iNCOVACC अभी तक देश में इंजेक्शन के जरिए लोगों को वैक्सीन लगाई जाती थी, लेकिन अब नेजल वैक्सीन भी तैयार हो चुकी है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये नेजल वैक्सीन क्या होती है? ये वैक्सीन कितनी असरदार है? बाजार में नेजल वैक्सीन का टीका कितने का मिलेगा? कैसे इसे तैयार किया गया है? आइए समझते हैं…
पहले वैक्सीन के बारे में जान लीजिए
- नेजल वैक्सीन को भारत बायोटेक ने वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन (WUSM) के साथ मिलकर बनाया है। भारत बायोटेक ने ही कोरोना की पहली स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सिन भी तैयार की थी।
- भारत बायोटेक ने नाक से दी जाने वाली इस नेजल वैक्सीन का नाम iNCOVACC रखा है। पहले इसका नाम BBV154 था।
- इस वैक्सीन को नाक के जरिए शरीर में पहुंचाया जाता है। शरीर में जाते ही यह वैक्सीन कोरोना के इन्फेक्शन और ट्रांसमिशन दोनों को ब्लॉक करती है।
- नाक से ली जाने वाली इस वैक्सीन को बूस्टर डोज के तौर पर लगाया जा रहा है। इसलिए इसे इंट्रानेजल वैक्सीन कहा जाता है। यानी इसे इंजेक्शन से देने की जरूरत नहीं है और न ही ओरल वैक्सीन की तरह ये पिलाई जाती है। यह एक तरह से नेजल स्प्रे जैसी है।
नाक से दी जाने वाली वैक्सीन कैसे काम करती है?
इसे समझने के लिए हमने डॉ. भरत भूषण से बात की। उन्होंने कहा, ‘कोरोनावायरस समेत कई सूक्ष्म वायरस और म्युकोसा के जरिए शरीर में जाते हैं। नेजल वैक्सीन सीधेहोगी म्युकोसा में ही इम्यून बढ़ाती है। इससे वायरस को शरीर के अंदर दाखिल होने से रोका जा सकता है।’
इसे समझने के लिए हमने डॉ. भरत भूषण से बात की। उन्होंने कहा, ‘कोरोनावायरस समेत कई सूक्ष्म वायरस और म्युकोसा के जरिए शरीर में जाते हैं। नेजल वैक्सीन सीधेहोगी म्युकोसा में ही इम्यून बढ़ाती है। इससे वायरस को शरीर के अंदर दाखिल होने से रोका जा सकता है।’
डॉ. भरत के अनुसार, ‘नेजल वैक्सीन शरीर में इम्युनोग्लोबुलिन A (igA) तैयार करती है। igA इंफेक्शन को शुरुआती दौर में ही रोकना ठीक होता है। नेजल वैक्सीन ऐसा करने में कारगर साबित होती है। ये वैक्सीन संक्रमण रोकने के साथ-साथ उसे दूसरों तक फैलने से भी रोकता है।
डॉ. भरत ने आगे कहा, अब तक देश में आठ वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है। ये सभी इंजेक्शन के जरिए इंसान के शरीर में दी जाती है। लेकिन iNCOVACC इंट्रानेजल वैक्सीन है। इसे नाक से दी जाती है। इंजेक्शन के जरिए दी जाने वाली वैक्सीन आमतौर पर दो बार दिए जाते हैं, लेकिन iNCOVACC को केवल एक बार ही दिया जाएगा। इसकी एक डोज ही काफी सुरक्षित मानी जाती है। नेजल वैक्सीन 14 दिन में ही असर दिखाने लगती है। ये न केवल कोरोनावायरस से बचाएगी, बल्कि बीमारी फैलने से भी रोकेगी। मरीज में हल्के लक्षण भी नहीं नजर आएंगे। अगर वायरस शरीर के अंदर प्रवेश कर भी लेता है तो इससे शरीर के अंगों को ज्यादा नुकसान नहीं होगा। उन्होंने बताया कि नाक से दी जाने वाली इस वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स भी अन्य के मुकाबले कम है।
नाक के जरिए दिए जाएंगे चार ड्रॉप्स
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, नेजल वैक्सीन को अभी बूस्टर डोज के तौर पर दिया जाएगा। मतलब जिन लोगों को कोवैक्सिन या कोवीशील्ड के दो-दो डोज लग चुके हैं, उन्हें ये नेजल वैक्सीन बूस्टर डोज के रूप में दी जाएगी। हालांकि जिन लोगों को वैक्सीन की एक डोज भी नहीं लगी है, उन्हें इसे प्राइमरी वैक्सीन के तौर पर भी दिया जा सकता है। इसके चार ड्रॉप्स हर एक शख्स को दिए जाएंगे। मतलब दोनों नॉस्ट्रिल्स में दो-दो ड्रॉप्स डाली जाएंगी। कंपनी की तरफ से ये नेजल वैक्सीन सरकार को 325 रुपये प्रति शॉट और निजी टीकाकरण केंद्रों को 800 रुपये प्रति शॉट के हिसाब से दी जाएगी।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, नेजल वैक्सीन को अभी बूस्टर डोज के तौर पर दिया जाएगा। मतलब जिन लोगों को कोवैक्सिन या कोवीशील्ड के दो-दो डोज लग चुके हैं, उन्हें ये नेजल वैक्सीन बूस्टर डोज के रूप में दी जाएगी। हालांकि जिन लोगों को वैक्सीन की एक डोज भी नहीं लगी है, उन्हें इसे प्राइमरी वैक्सीन के तौर पर भी दिया जा सकता है। इसके चार ड्रॉप्स हर एक शख्स को दिए जाएंगे। मतलब दोनों नॉस्ट्रिल्स में दो-दो ड्रॉप्स डाली जाएंगी। कंपनी की तरफ से ये नेजल वैक्सीन सरकार को 325 रुपये प्रति शॉट और निजी टीकाकरण केंद्रों को 800 रुपये प्रति शॉट के हिसाब से दी जाएगी।
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