Covid 19: वैक्सीन लगने के बाद तबियत बिगड़ने पर क्या करें, जल्द ही गाइडलाइन जारी कर बताएगी सरकार

भारत सरकार जल्द ही कोरोना वैक्सीनेशन के बाद की देखरेख के लिए गाइडलाइन जारी कर सकती है। इससे वैक्सीनेशन के बाद तबियत बिगड़ने पर हालातों से कैसे निपटना है। इस बारे में डॉक्टरों को जानकारी दी जाएगी।

गाइडलाइन जारी होने के बाद डॉक्टर ‘ब्लड क्लॉटिंग’ जैसी घटनाओं से बेहतर तरीके से निपट सकेंगे। एस्ट्रआजेनिका-ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन लगाने के बाद देश में कुछ मामले ऐसे आए थे, जिनमें मरीज के शरीर में खून के थक्के जम गए थे। इन्हीं मामलों के बाद सरकार ने गाइडलाइन जारी करने का फैसला किया है। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो खून का थक्का जमने वाले मरीजों में जेनेटिक कनेक्शन हो सकता है। यूरोप में पाए गए मामलों में यह बात सामने आई है।

700 गंभीर मामलों की हो रही है जांच

वैक्सीनेशन के दुषप्रभावों पर जांच करने के लिए बनाई गई राष्ट्रीय समिति फिर से 700 मामलों की जांच कर रही है, जिनमें कोरोना का वैक्सीन लगने के बाद मरीजों को समस्या हुई थी।

इस समिति में चिकित्सक, रिसर्चर और वैक्सीन एक्सपर्ट भी शामिल हैं। इस समिति की जांच के बाद गाइडलाइन जारी की जाएगी। यह गाइडलाइन इस हफ्ते के अंत तक जारी की जा सकती हैं।

एम्स के डायरेक्टर रंदीप गुलेरिया का कहना है कि भारत में वैक्सीन लगने के बाद प्लेटल्ट्स कम होने के केस ज्यादा नहीं होने चाहिए। वैक्सीन के साइड इफेक्ट भारत या एशियन देशों की तुलना में पश्चिमी देशों में ज्यादा देखे जा रहे हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि वैक्सीन लगने के बाद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के जो लक्षण दिखे हैं, वो पूरी तरह से नॉर्मल हैं और इसमें चिंता करने वाली कोई बात नहीं है। इस वजह से इसके इलाज की गाइडलाइन ज्यादा मुश्किल नहीं होंगी।

एम्स के डायरेक्टर रंदीप गुलेरिया का कहना है कि भारत में वैक्सीन लगने के बाद प्लेटल्ट्स कम होने के केस ज्यादा नहीं होने चाहिए। वैक्सीन के साइड इफेक्ट भारत या एशियन देशों की तुलना में पश्चिमी देशों में ज्यादा देखे जा रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वैक्सीन लगने के बाद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के जो लक्षण दिखे हैं, वो पूरी तरह से नॉर्मल हैं और इसमें चिंता करने वाली कोई बात नहीं है। इस वजह से इसके इलाज की गाइडलाइन ज्यादा मुश्किल नहीं होंगी।

जेनिटिक समस्या हो सकते हैं वैक्सीन के साइड इफेक्ट

 

 

इस मामले पर अधिकारियों का कहना है कि स्वाइन फ्लू के समय में भी स्कॅन्डिनेवियन देश के बच्चों में टीका लगने के बाद नींद की समस्या आई थी, पर वहां के अलावा बाकी जगहों पर इसका प्रभाव नहीं देखा गया। यह समस्या जेनिटिक हो सकती है। भारत में उपयोग हो रही वैक्सीन कोवीशील्ड और कोवैक्सीन का कोई दुष्प्रभाव नहीं है। हालांकि, एस्ट्राजेनिका वैक्सीन से कई युवाओं में खून का थक्का जमने की समस्या हुई है। इसी के चलते यूरोप में कई देशों ने इस वैक्सीन के टीके बंद कर दिए हैं, जबकि कुछ देश सिर्फ बुजुर्गों को ही एस्ट्राजेनिका का टीका दे रहे हैं। क्योकि, खून का थक्का जमने के मामले युवाओं में ज्यादा देखे गए हैं। वहीं, युवाओं के कोरोना संक्रमित होने के बाद भी फेंफड़ों में इन्फेक्शन फैलने की आशंका कम रहती है।

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