Criminal Procedure Bill 2022 सरकार ने लोकसभा में दंड प्रक्रिया पहचान विधेयक, 2022 पेश कर दिया है। इस बिल के कानूनी रूप लेने के बाद पुलिस के पास गिरफ्तार व्यक्ति से संबंधित सभी तरह की सूचना से लेकर रेटिना, पैरों के प्रिंट जुटाने और ब्रेन मैपिंग तक करने का अधिकार होगा। विपक्ष इसे मौलिक अधिकारों का हनन बता रहा है। सोमवार को जब गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र ने ये बिल लोकसभा में पेश किया तो विपक्ष ने इसके विरोध में जमकर हंगामा किया।
Criminal Procedure Bill 2022
इस बिल में गिरफ्तार किए गए किसी व्यक्ति के निजी बायोलॉजिकल डाटा इकट्ठा करने की छूट देता है। इसमें पुलिस को अंगुलियों, पैरों, हथेलियों के निशान, रेटिना स्कैन, भौतिक, जैविक नमूने और उनके विश्लेषण, हस्ताक्षर, लिखावट या अन्य तरह का डाटा एकत्र करने की छूट होगी।
Criminal Procedure Bill 2022
विरोधी दल इसे सरकार की जरूरत से ज्यादा निगरानी और निजता का हनन बता रहे हैं। अगर ये बिल कानून का रूप लेता है तो ये कैदियों की पहचान अधिनियम, 1920 की जगह लेगा। मौजूदा कानून केवल ऐसे कैदियों की सीमित जानकारी एकत्र करने की बात कहता है जो या तो दोषी करार हो चुके हैं या फिर सजा काट रहे हैं। इसमें भी केवल उंगलियों के निशान और पदचिह्न ही लिया जा सकता है।
नया कानून किन लोगों को पर लागू होगा?
प्रस्तावित कानून तीन तरह के लोगों पर लागू होगा। पहला ऐसे लोग जिन्हें किसी भी अपराध में सजा मिली है। दूसरा ऐसे गिरफ्तार लोग जिन पर किसी भी कानून के तहत सजा के प्रवधान की धाराएं लगी हैं। इसके साथ ही ऐसे लोग जिन पर सीआरपीसी की धारा 117 के तहत शांति बनाए रखने के लिए कार्रवाई की गई है। उन पर भी ये कानून लागू होगा।