Goat Farming करे ये सटीक बिजनेस सरकारी नौकरी वाला भी है इसके सामने फैल देखे अधिक जानकारी

Goat Farming करे ये सटीक बिजनेस सरकारी नौकरी वाला भी है इसके सामने फैल देखे अधिक जानकारी

Goat Farming करे ये सटीक बिजनेस सरकारी नौकरी वाला भी है इसके सामने फैल देखे अधिक जानकारी ग्रामीण परिवेश में बकरी पालन अब स्वरोजगार बनते जा रहा है। बकरी पालन का कार्य ग्रामीण क्षेत्रों में बीते कई दशक से चलते आ रहा है। वर्तमान में घरेलू एवं लघु कारोबार के रूप में विकसित हो रही है। छोटे रूप में बकरी पालन कार्य में महिलाएं जुड़ रही है। घरेलू महिलाएं घर का काम करने के बाद बकरी पालन में समय देती है।

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Goat Farming करे ये सटीक बिजनेस सरकारी नौकरी वाला भी है इसके सामने फैल देखे अधिक जानकारी

ग्रामीण परिवेश में बकरी पालन अब स्वरोजगार बनते जा रहा है। बकरी पालन का कार्य ग्रामीण क्षेत्रों में बीते कई दशक से चलते आ रहा है। वर्तमान में घरेलू एवं लघु कारोबार के रूप में विकसित हो रही है। छोटे रूप में बकरी पालन कार्य में महिलाएं जुड़ रही है।

Goat Farming Business

घरेलू महिलाएं घर का काम करने के बाद बकरी पालन में समय देती है। एक वर्ष में एक बकरी तीन से चार बच्चे को जन्म देती है। बच्चा बड़ा होने पर वजन के अनुसार बेचती है। इस तरह सलाना 20 से तीस हजार रुपए अतिरिक्त आय कर लेती है।

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Goat Farming Guidline

बकरी के लिए चारा की कमी ग्रामीण क्षेत्र में नहीं है। बकरी पालन के लिए बैंक एवं विभाग से लोगो को ऋण भी दी जाती है। लेकिन ग्रामीण परिवेश में महिलाएं बकरी पालन योजना से अनभिज्ञ है। बकरी पालन को बढ़ावा देने की जरूरत है। साथ ही जागरूक करने की आवश्यकता है। आज भी ग्रामीण परिवेश में किसान वर्ग के लोग घरों में दूध के लिए गाय को पालते है। इसके साथ घर की महिलाएं दो चार बकरियां भी पालती है।

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गाय के साथ बकरी की देखभाल आदि साथ हो जाता है। इसके लिए अलग से समय देने की जरूरत नही पड़ती है। कुछ महिलाएं सिर्फ बकरी पालती है। बकरी पालन को खास कर बुजुर्ग महिलाएं करती है। उन्हें बुजुर्ग अवस्था में जरूरत पड़ने वाली दवा आदि की आवश्यकता पूरी होती है।

Goat Farming Information

बकरी पालन से होने वाली वाली बुजुर्ग एवं असहाय महिलाओं के लिए संजीवनी साबित होती है। बकरी पालन महिलाओं के लिए एक ऐक्षिक कार्य है। न ज्यादा परेशानी है और न ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। दिन भर चारा आदि खाने के बाद शाम में बकरी को बाड़े में बंद कर रखा जाता है।

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बकरी का दूध काफी पौष्टिक एवं गुणकारी होती है। इसके दूध के सेवन से डेंगू, मलेरिया रोग से पीड़ित लोग जल्द ठीक होते है। कमजोर बच्चों को बकरी का दूध पिलाने से जल्दी ही स्वस्थ्य हो जाता है। बकरी का गोबर (भेड़ारी) को लोग ठंड के दिन में बोरसी में भरकर आग का सेवन करते है।

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