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Doll: बच्‍चों की पहली पसंद बनीं पहाड़ी डॉल, ‘परंपराओं से भी रूबरू कराती जुन्याली’ की तस्वीरों से नजर नहीं हटेगी

Doll: बच्‍चों की पहली पसंद बनीं पहाड़ी डॉल, 'परंपराओं से भी रूबरू कराती जुन्याली' की तस्वीरों से नजर नहीं हटेगी

Doll: बच्‍चों की पहली पसंद बनीं पहाड़ी डॉल, ‘जुन्याली’ की तस्वीरों से नजर नहीं हटेगी बच्चों की पसंदीदा बार्बी डॉल अब उन्हें पहाड़ी वेशभूषा में भी मिलेगी। टिहरी जिले के युवक ने बार्बी डॉल की तर्ज पर पारंपरिक वेशभूषा से सजी पहाड़ी डॉल तैयार की है जिसको जुन्याली नाम दिया गया है। जुन्याली बार्बी की तरह बच्चों को खूब भा रही है।

Doll: बच्‍चों की पहली पसंद बनीं पहाड़ी डॉल, 'परंपराओं से भी रूबरू कराती जुन्याली' की तस्वीरों से नजर नहीं हटेगी

 

परंपराओं से भी रूबरू

इससे जहां युवा स्वरोजगार से जुड़े हैं वहीं नई पीढ़ी खेल-खेल में अपनी संस्कृति व परंपराओं से भी रूबरू हो रही है। टिहरी जिले के सुनार गांव निवासी युवक दीप नेगी ने बार्बी डॉल की तर्ज पर पहाड़ी डॉल (गुड़िया) जुन्याली बनाई है। दीप वर्ष 2009 से दुबई में हैं।

दीप ने बताया कि उन्होंने दुबई के मॉल में बार्बी डॉल सहित कई अन्य खिलौने देखे जो विभिन्न देशों की संस्कृतियों से जुड़े हैं। इन सब को देखकर उनके मन में पहाड़ की संस्कृति से जुड़े खिलौने बनाने का विचार आया और इसमें डॉल सबसे बेहतर विकल्प था। वर्ष 2018 में देहरादून व टिहरी से फ्यूंली एंड पाइंस नाम से स्टार्टअप शुरू किया।

Doll: बच्‍चों की पहली पसंद बनीं पहाड़ी डॉल, 'परंपराओं से भी रूबरू कराती जुन्याली' की तस्वीरों से नजर नहीं हटेगी

इसके तहत गढ़वाली, कुमाऊंनी व जौनसारी परिधानों, आभूषणों व अन्य पारंपरिक वस्तुओं से सुसज्जित गुड़िया बनाई गई जिसका नाम जुन्याली रखा गया। बीते दो वर्ष कोरोना काल के चलते स्टार्टअप गति नहीं पकड़ पाया लेकिन अब जुन्याली की देशभर के साथ ही विदेशों में भी खूब डिमांड है।

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  रबड़ की तरह गुड़िया

दीप नेगी ने बताया कि वे अब तक पांच हजार गुड़िया बेच चुके हैं। दीप के साथ टिहरी के पंकज व अकबीर भी जुड़े हैं। दीप ने बताया कि अब तक गुड़िया गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी वेशभूषा में ही उपलब्ध है लेकिन जल्द लोगों को रौंगपा (माणा) वेशभूषा में भी मिलेगी।
जुन्याली अन्य गुड़िया के तरह ही रबड़ की है। कच्चा माल विदेश से मंगाया जाता है जिसे टिहरी व देहरादून में तैयार किया जाता है।

 ऑन लाइन जुन्याली

जुन्याली के लिए पारंपरिक परिधान टिहरी व देहरादून में तैयार किए जाते हैं। वहीं पारंपरिक वस्तुएं (कंडी, टोकरी, सुप्पा, गंज्याली, कुदाल, दरांती) टिहरी व उत्तरकाशी में तैयार किए जाते हैं। दीप नेगी ने बताया कि जुन्याली ऑन लाइन में मंगाई जा सकती है। इसके लिए व्हटसएप नंबर 7300758707 पर भी कॉल की जा सकती है।

इसके अलावा जुन्याली हल्द्वानी, नैनीताल, अल्मोड़ा, टिहरी, चंबा, उत्तरकाशी, दिल्ली सहित अमेजन पर भी उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि गुड़िया की कीमत 650 रुपये से शुरू है। इसके अलावा टोकरी, गंज्याली, सुप्पा आदि आदि प्रति 100 रुपये के हिसाब से खरीद सकते हैं।

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गीतों पर डांस भी करती जुन्याली

जुन्याली की एक विशेषता यह है कि यह गढ़वाली, कुमाऊंनी व जौनसारी गीतों पर डांस भी करती है। इसी माह के अंतिम सप्ताह में आयोजित होने वाले मंगसीर बग्वाल मेले में जुन्याली मुख्य आकर्षण होगी। मेले का आयोजन अनघा माउंटेन एसोसिएशन वर्षों से करता आ रहा है। आयोजन समिति के अजय पुरी ने बताया कि मेले में जुन्याली को प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा।

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