Electricity Bill कोरोना काल में बिजली दर बढ़ाने का मामला प्रशासनिक, हाईकोर्ट नहीं कर सकता हस्तक्षेप

electricity bill कोरोना काल में बिजली दर बढ़ाने का मामला प्रशासनिक- हाईकोर्ट नहीं कर सकता हस्तक्षेप

Electricity Bill राज्य शासन व उसके उपक्रम प्रशासनिक स्तर पर कोई निर्णय लेने स्वतंत्र हैं। अपीलेट विकल्प भी मुहैया है। ऐसे में हाई कोर्ट इस तरह के मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा। इस टिप्पणी के साथ हाई कोर्ट ने कोरोना काल में बिजली दर Electricity Bill बढ़ाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका निरस्त कर दी है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव की युगलपीठ ने साफ किया कि यह मामला प्रशासनिक स्तर का है, इसलिए हाई कोर्ट हस्क्षेप नहीं करेगा।

जनहित याचिकाकर्ता नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच, जबलपुर के प्रांताध्यक्ष डा.पीजी नाजपांडे व नयागांव, जबलपुर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता रजत भार्गव की ओर से अधिवक्ता प्रभात यादव ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि कोरोना काल में नागरिक आर्थिक रूप से प्रभावित हुए हैं। ऐसे में बिजली दर Electricity Bill नहीं बढ़ाई जानी चाहिए। इस सिलसिले में संवैधानिक प्रविधानों सहित अन्य बिंदुओं की रोशनी में निर्णय लिया जाना चाहिए। कोरोना जैसी महामारी से जूझ रही प्रदेश की जनता को बिजली के दाम बढ़ाकर परेशान नहीं किया जाना चाहिए। इसके बावजूद बिजली दर में वृदि्ध का अनुचित लाया गया है। इसी के खिलाफ व्यापक जनहित में जनहित याचिका दायर कर दी गई है।

चूंकि हाई कोर्ट ने हस्तक्षेप नहीं किया अत: अब मंच द्वारा वैकल्पिक उपाय पर गौर किया जाएगा। राज्य की जनता को कैसे बिजली के बढ़े दामों से निजात दिलाई जाए, इसके लिए अभियान थमेगा नहीं। इस सिलसिले में डा.नाजपांडे अपने कानूनी सलाहकारों से विमर्श में जुट गए हैं। राज्य सभा सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा से भी रायशुमारी की जाएगी। इसके लिए याेजना निर्धारित की जा रही है।

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