EXIT POLL कटनी में इस समीकरण से BJP बचाएगी सीट?
EXIT POLL कटनी में इस समीकरण से BJP बचाएगी सीट?
EXIT POLL मध्यप्रदेश में आज दूसरे चरण का मतदान संपन्न हो गया। इस चरण के साथ ही निकाय चुनाव भी सम्पन्न हुए। अब बारी है पूर्वानुमान की। तो मध्यप्रदेश में प्रतिष्ठा पूर्ण सीट मानी जा रही कटनी सीट बीजेपी बचाती नजर आ रही है। हालांकि उसकी टक्कर बागी बनी निर्दलीय उम्मीदवार प्रीति सुरी से हो रही है। कटनी में यूं तो माहौल त्रिकोणीय संघर्ष का था, लेकिन जानकार बताते हैं कि बीजेपी का पिछला वोट बैंक काम आ जायेगा लिहाजा वह बाजी मार लेगी। जानकारों की मानें तो बीजेपी के कटनी में कम से कम 20 से 25 हजार वोट कांग्रेस के 15 से 20 हजार वोट ऐसे हैं जो सिर्फ सिंबल के दम पर मिलते हैं। ऐसे में निर्दलीय सूरी की गिनती जब एक से शुरू होगी तब भाजपा और कांग्रेस काफी आगे बढ़ोतरी कर चुकी होंगी।
माना जा रहा है कि 60 प्रतिशत वोटिंग के बाद 40 हजार वोट ले जाने वाला कैंडिडेट चुनाव में फतह हासिल कर सकता है। इसे अगर माना जाए तो कितने भी विरोध के बावजूद बीजेपी की ज्योति दीक्षित को करीब 45 हजार वोट मिलते नजर आ रहे हैं। वही निर्दलीय प्रीति सूरी को 15 से 20 हजार वोट जबकि कांग्रेस को भी 15 से 25 हजार वोट मिलते नजर आ रहे हैं बाकी 10 से 12 हजार वोट अन्य के खाते में जा सकते हैं। जानकारों के अनुसार चर्चा में निर्दलीय भले ही छाए हों लेकिन बीते महापौर के चुनाव उसके बाद विधानसभा के चुनाव में शहरी वोटों का आंकड़ा भाजपा को 30 हजार से अधिक वोटों से गिनती की शुरुआत करता दिखता है।
आपको बता दें कि बीते मेयर के चुनाव में भी कांग्रेस के चीनी चेलानी ने कड़ी टक्कर दी थी तब वह 45 हजार वोट के आसपास पहुंच गए थे फिर भी बीजेपी 62 हजार से वोटों के साथ करीब 17 हजार मतों से जीत गई थी।
जानकार यह भी बताते हैं कि कटनी में विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ लेने वाले करीब 60 हजार मतदाता हितग्राहियों की कैटेगरी में आते हैं जिनमे से आधे भी बीजेपी की ओर जाते हैं तो भाजपा को फायदा हो सकता है। जो भी हो लेकिन बीजेपी के वरिष्ठ नेता इसे लेकर आशान्वित हैं। लोग भले ही टक्कर को कांटे की आंक रहे हैं लेकिन बीते चुनावों को गौर करें तो निर्दलीय जितना नुकसान भाजपा को करते हैं उतना ही कांग्रेस को भी कर सकते हैं। अब यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है लेकिन अधिकांश लोगों से बात करने पर वह यह भी कहते सुने जाते हैं कि जीतेगी तो बीजेपी ही। मतलब माहौल के अनुसार वोटर्स चर्चा में जरूर शामिल हो रहा है पर उसने वोट किसको दिया होगा इस प्रश्न पर भाजपा का नाम लेना इशारा है कि पार्टी के परम्परागत वोट बैंक से आगे बढ़ना किसी के लिए भी काफी टेढ़ी खीर है।
सवाल दो बार निर्दलीय के जीतने का हो तो एक बार अर्थात किन्नर कमला जान को जिताने का प्रयोग जनता को ज्यादा अच्छा अनुभव नहीं दे पाया। वहीं वर्तमान विधायक के निर्दलीय मेयर का चुनाव जीतने में कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार के काफी कमजोर होने का कारण बताया जा रहा है। फिर से ऐसे किसी प्रयोग को लेकर मतदाता कितने संजीदा हैं यह 6 दिन के बाद तय हो जाएगा।