Face Identification App से होगी पहचान, बनेंगे 9.5 लाख Golden Card, ऐसे होगा फेस ऑथेंटिकेशन

Face Identification App

Face Identification App अब गोल्डन कार्ड बनाने के लिए फेस ऑथेंटिकेशन एप के जरिये आधार नंबर से चेहरे की पहचान होगी। मेरठ जिले में जल्द ही साढ़े नौ लाख कार्ड बनाए जाएंगे।

आशा कार्यकर्ताओं के एंड्रॉइड मोबाइल फोन में इंस्टॉल एप्लीकेशन ऑन करते ही आधार नंबर के जरिये एप पात्र लाभार्थी का चेहरा पहचान लेगा।

मेरठ जिले में अभी भी करीब साढ़े नौ लाख लाभार्थी हैं, जिनके गोल्डन कार्ड नहीं बने हैं। कुल 12,55,915 पात्र हैं, लेकिन 2,99,413 के ही गोल्डन कार्ड बने हैं। इनमें से भी सिर्फ 25,443 को इलाज मिला है। इलाज देने में मेरठ का प्रदेश में 46वां स्थान है।

योजना के लाभार्थी प्रत्येक परिवार को प्रतिवर्ष प्रति परिवार पांच लाख रुपये तक के निशुल्क उपचार की सुविधा दी जाती है। योजना के नोडल अधिकारी डॉ. विश्वास चौधरी ने बताया कि इस एप के माध्यम से गोल्डन कार्ड बनाने की प्रक्रिया को तेज किया जाएगा। जो अभी भी कार्ड बनने से वंचित हैं, उनके कार्ड बनाए जाएंगे।

इस काम के लिए आशा कार्यकर्ता को प्रतिकार्ड निश्चित धनराशि प्रोत्साहन के रूप में सीधे उनके बैंक खाते में स्थानांतरित की जाएगी। उन्होंने बताया आशा कार्यकर्ताओं को मोबाइल एप का प्रशिक्षण देने के लिए ब्लाक में तैनात ब्लाक कम्यूनिटी प्रोसेस मैनेजर (बीसीपीएम) को मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित किया गया है।

 

Face Identification App ऐसे होगा फेस ऑथेंटिकेशन

फेस ऑथेंटिकेशन एप्लीकेशन मोबाइल एप पर केवाईसी के माध्यम से लाभार्थी का चिन्हांकन और उसका आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए आधार कार्ड के आधार पर उसकी पहचान की जाएगी। फिर विभिन्न प्रक्रिया से गुजरते हुए सभी जरूरी जानकारी एप पर दिए गए फार्म में भरनी होगी।

इसके लिए चार डिजिट का एक पिन जनरेट होगा और छह डिजिट का ओटीपी वनटाइम पासवर्ड आएगा। यह प्रक्रिया पूरी करने के बाद यह पता चल जाएगा कि संबंधित व्यक्ति योजना का पात्र हैं कि नहीं। यदि वह व्यक्ति पात्र होंगे तो फेस ऑथेंटिकेशन के आधार पर उनका आयुष्मान कार्ड बनाया जाएगा। इस कार्य का किसी लाभार्थी को कोई शुल्क नहीं देना है।

 

Face Identification App किसी को न दें ओटीपी और पिन की जानकारी

सीएमओ डॉ. अखिलेश मोहन ने बताया कि लोगों से अपील है कि क्षेत्रीय आशा के अलावा किसी अनजान व्यक्ति को फोन पर ओटीपी अथवा पिन की जानकारी नहीं देनी है। कई बार योजनाओं के एप जारी होते ही ठग सक्रिय हो जाते हैं।

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